सूखे की चपेट में धान की फसल को बचाना अन्नदाताओं के लिए बनी चुनौती
प्रयागराज। इन दिनों तेज गर्मी और उमस के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त है तो वही किसानों की लहलहाती धान की फसल पूरी तरह से सूख चुकी है खेतों में बड़े-बड़े दरार दिखाई दे रहे हैं। जलस्तर नीचे चले जाने के कारण सिंचाई के लिए उपयोग में लाये जाने वाले साधन पूरी तरह से फेल साबित हो रहे हैं। प्रखंड के नदियों के किनारे लगे कैनाल के द्वारा समुचित ढंग से पानी किसानों को नहीं मिल पा रहा है जो पर्याप्त सिंचाई कर सकें जिससे धान के फसलों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सामान्य से भी कम बरसात होने के कारण लगातार जल स्तर नीचे जाने की वजह से पीने के लिए पानी की भी समस्या बनती जा रही है। जहां आजादी के 75 साल व्यतीत हो जाने पर अमृत महोत्सव काल मनाया जा रहा है वही किसानों को उचित सुविधाएं मुहैया नहीं होने से सिर्फ विकास का झांसा मिलने से किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली डीजल अनुदान राशि को भी इतना जटिल बना दिया गया है जिसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है ऊपर से बरसती आसमानी आग का गोला ने किसानों को परेशानी के आग में झोंक दिया है। जिससे किसानों की कमर टूटती जा रही है लागत बढ़ने से किसानों की हालत दिन पर दिन बद से बदतर हो रही है अगर ऐसे ही हालात रहे तो किसानों को खाने के लाले पड़ जाएंगे। अभी तक सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से अन्नदाताओं को राहत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे अन्नदाता चिंतित नजर आ रहे हैं। बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सामान्य से भी कम बारिश होने से धान की फसल पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। ऐसे उत्पन्न हालात में क्षेत्र के किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि संबंधित विभागीय उच्च अधिकारियों से भौतिक परीक्षण करवा कर जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए।