गोकुल डेयरी से जुड़े 400 पशुपालकों को एसबीआई बैंक ने दिया प्रत्येक को एक एक लाख रू का ऋण

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गोकुल डेयरी का काश्तकारों को स्वालंबी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

भीलवाड़ा जिले में दुग्ध की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जायेगा, काश्तकारों को सामाजिक सरोकार से जोड़ विकसित भारत बनायेगें- चोबे

भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी, भीलवाड़ा जिले की प्रथम निजी डेयरी गोकुल डेयरी से जुडे़ 400 पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से प्रत्येक को एक एक लाख रू का ऋण उपलब्ध कराया गया है। इस संबंध में गोकुल डेयरी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बीच इस योजना के लिए 3 अप्रैल 2024 को एक समझौता एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भीलवाड़ा के टाउन हाल में आयोजित कार्यक्रम में मंगलवार को भीलवाड़ा के अतिरिक्त जिला कलेक्टर रतन कुमार स्वामी, भीलवाड़ा एसडीएम आव्हाद निवृत्ति सोमनाथ (आईएएस) तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया उदयपुर अचंल के उपमहाप्रबंधक शशिनाथ मिश्र तथा रीजनल मेनेजर अविनाश पाटोदी, भारतीय डेयरी परिसंघ राजस्थान के चेयरमेन डा. अरूण चंडालिया की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में प्रत्येक किसान को मात्र 4 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर 1 लाख रुपये का पशु ऋण प्रदान किया गया। इस योजना के तहत कुल 4 करोड़ रुपये वितरित किए गये। डेयरी से जुड़े पशुपालकों को अतिथियों ने चेेक वितरित किये।
भीलवाड़ा के अतिरिक्त जिला कलेक्टर रतन कुमार स्वामी ने कहा कि किसानों को स्वालंबी बनाने के लिए सरकार की योजनाओं के साथ साथ इस प्रकार ऋण देकर उनको प्रोत्साहित करने का मार्ग बेहतर है। इससे काश्तकार स्वालंबी बनने के साथ आर्थिक उन्नति कर सकेगें। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देकर कहा कि गोकुल डेयरी का इस दिशा में कार्य प्रशंसनीसय है।
एसडीएम आव्हाद निवृत्ति सोमनाथ (आईएएस) ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए इस प्रकार से किसानों का मेला आयोजित कर उसे स्वालंबी व उन्नत बनाने की योजना निश्चित ही फलदायी हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया उदयपुर अचंल के उपमहाप्रबंधक शशिनाथ मिश्र ने बैंक की येाजनाओं से जुड़ने का आव्हान करते हुए कहा कि लंबे अनुभव के बाद पहली बाद बैंक ने गोकुल डेयरी से जुड़े 400 काश्तकारों को पहल चरण में ऋण दिया है। द्वितीय चरण में भी योजना के तहत काश्तकारों को लाभान्वित किया जायेगा। गोकुल डेयरी के सभी 11 हजार काश्तकारों को बैंकों से जोड़ा जायेगा।
रीजनल मेनेजर अविनाश पाटोदी ने कहा कि आज किसानों के लिए इस योजना को क्रियान्वित करने से मन को सकून मिला है। काश्तकारों को स्वालंबी बनाने के लिए इसके तहत आगामी चरण में प्रत्येक काश्तकार को उसके लेनदेन को देखते हुए प्रत्येक को तीन लाख रू तक का ऋण भी दिया जा सकता है। उन्होंने सभी काश्तकारों को बैंक से लेनदेन को सही रखने व अन्य योजनाओं से जुडने का आव्हान किया।
गोकुल डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर, अशोक चोबे ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि यह पहल राजस्थान में पहली बार किसी प्राइवेट डेयरी द्वारा अपने किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए की गई है। इस योजना के कारण किसानों को अपने पशुधन की देखभाल और विकास के लिए आवश्यक संसाधन प्राप्त होंगे। पशु पालन ऋण योजना किसानों को पशुधन की खरीद और उनकी देखभाल के लिए एक सुरक्षित और सुलभ वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। गोकुल डेयरी काश्तकारों को सामाजिक सरोकारों से जोड़कर विकसित भारत बनाने का लक्ष्य पूरा करेगी।
डेयरी चेयरमेन सावित्रि व्यास एवं मुख्य सलाहकार मुरलीधर व्यास, जनरल मैनेजर अमित व्यास, प्रबंध संचालक अशोक चोबे, ने शुरूआत में सभी अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य सलाहकार मुरलीधर व्यास ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कार्यक्रम का संचालन करने के साथ गोकुल डेयरी की स्थापना से लेकर अब तक के इतिहास पर प्रकाश डाला।
इस मौके भीलवाड़ा कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा एलएल यादव, कृषि विश्वविद्यालय के डीन, राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा, बैंक की सहायक महाप्रबंधक कल्पना चैहान, भीलवाड़ा के अन्य शाखा प्रबंधक, गोकुल डेयरी समिति के पदाधिकारी व सदस्यगण मौजूद रहे।
पशुपालकों को 11 करोड़ रू अनुदान के दिये है-चोबे
गोकुल डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर, अशोक चोबे ने कहा कि गोकुल डेयरी की स्थापना से लेकर आज तक दुग्ध की गुणवत्ता का बढ़ावा देकर आज यह डेयरी सहकारी डेयरी से कई मामलों में आगे है। आज डेयरी का कारोबार 48 करोड़ सालाना पहुंच चुका है। अगले वर्ष इसे 70 करोड़ रू तक करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा सरकार को दूध पर पांच रू प्रति लीटर अनुदान नीजि डेयरी से जुड़े पशुपालकों को भी देना चाहिए। गोकुल डेयरी ने इस वर्ष अपने लाभांश से यह पांच प्रतिशत की राशि लगभग 11 करोड़ पशुपालकों को दिये है। चोबे ने कहा निजी डेयरी होने से उनको भीलवाड़ा जिले में 20 डेयरी बूथ लगाने व भूमि देने के संबंध में जिला प्रशासन से अनुरोध किया है। सहकारी डेयरी से फूड इंसपेक्टर द्वारा सेंपल नहीं लेने का भी उन्होंने दोहरा चरित्र बताया।


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