आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियन्ता हरिप्रसाद मीणा के ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन


लग्जरी गाड़ियां, लाखों रूपये की विदेशी मुद्रा, लग्जरी अपार्टमेट विला से संबंधित दस्तावेज मिले

जयपुर 10 अप्रैल। ए.सी.बी. मुख्यालय के निर्देश पर ए.सी.बी की विभिन्न टीमों द्वारा जयपुर में अल सुबह कार्यवाही करते हुये हरिप्रसाद मीणा, अधिशाषी अभियन्ता, सार्वजनिक निर्माण विभाग खण्ड दूदू जयपुर के विरूद्ध दर्ज आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के प्रकरण में आरोपी के 5 विभिन्न ठिकानों पर छापा मारकर तलाशी अभियान चलाया गया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि ब्यूरो मुख्यालय को गोपनीय सूत्र सूचना प्राप्त हुई थी कि हरिप्रसाद मीणा, अधिशाषी अभियन्ता, सार्वजनिक निर्माण विभाग खण्ड दूदू जयपुर द्वारा भ्रष्टाचार के साधनों द्वारा अपने एवं अपने परिजनों के नाम से अपनी वैध आय से आनुपातिक रूप से अधिक चल-अचल सम्पत्तियां अर्जित की गई है, जिनकी अनुमानित खरीद कीमत करोड़ों रुपयों से अधिक है।
सूचना का ए.सी.बी. की आसूचना शाखा द्वारा गोपनीय रूप से प्राथमिक सत्यापन किया गया तो अधिकारी द्वारा लग्जरी महंगी गाड़ियां ऑडी, स्कॉर्पियो, फॉर्ड एन्डेवर, रॉयल ईन्फील्ड बुलट खरीदना, लग्जरी अपार्टमेट, विला अर्जित करना एवं देश विदेश घुमने हेतु हवाई यात्राएं व महंगी होटलों में रुकने के तथ्य प्रकट हुए। जिस पर ऑपरेशन ऑडी चलाया जाकर विस्तृत रूप से तथ्य संकलित किये गये एवं तथ्यों की पुष्टि होने पर करीब 4,02,20.312 रूपये (199.75 प्रतिशत) की परिसम्पतियां वैध आय से अधिक अर्जित का मामला बनना पाये जाने पर प्रकरण दर्ज किया गया।
एसीबी जयपुर के उप महानिरीक्षक राहुल कोटोकी के सुपरवीजन में ए.सी.बी. की जयपुर नगर प्रथम इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भूपेन्द्र, अनुसंधान अधिकारी के नेतृत्व में सक्षम न्यायालय से तलाशी वारंट प्राप्त किया जाकर सुरेन्द्र शर्मा एएसपी चौकी सवाईमाधोपुर, राकेश कुमार, उप अधीक्षक पुलिस एसीबी चौकी अजमेर, नरेन्द्र सिंह पुलिस निरीक्षक एसीबी चौकी अजमेर, श्रीमती अर्चना मीणा पुलिस निरीक्षक एसीबी चौकी एसयू प्रथम जयपुर, गम्भीर सिंह पुलिस निरीक्षक एसीबी चौकी चतुर्थ जयपुर की विभिन्न टीमों ने एक साथ, अलसुबह आरोपी के जयपुर, दूदू व लालसोट स्थित 5 विभिन्न ठिकानों पर तलाशी की कार्यवाही की गई।
अब तक की गई सर्च कार्यवाही में जयपुर स्थित आवासों की सर्च में आरोपी व इसके परिवारजनों के नाम जयपुर में करीब 3 करोड रूपये के लग्जरी अपार्टमेंट, विला, लग्जरी अपार्टमेंट में महंगा फर्नीचर, इन्टीरियर, महंगे टाईल्स, पर्सनल जिम, करीब 70 हजार रूपये नकद एवं लाखों रूपये के 3 पर्सनल पार्किंग स्पेस वगैरह से संबंधित तथ्य प्रकट हुए। गांव बगड़ी लालसोट में स्थित फार्म हाउस की तलाशी में सम्पति के दस्तावेज, लाखों रूपये के हिसाब की डायरी, सरकारी रिकॉर्ड एमबी बुक, कॉलेज बनाने के उद्देश्य से अर्द्धनिर्मित कॉलेज परिसर में लाखों रूपये के निवेश वगैरह से संबंधित तथ्य प्रकट हुए। संदिग्ध अधिकारी के दूदू स्थित किराये के आवास की तलाशी में करीब 1 लाख रूपये नगद, करीब 2 लाख 20 हजार रूपये की विभिन्न देशो की विदेशी मुद्रा, दो बैंक लॉकर वगैरह से संबंधित तथ्य प्रकट हुए। संदिग्ध अधिकारी द्वारा विदेश यात्राओं एवं महंगे होटलों में रूकने में करीब 47 लाख रूपये व्यय करने, करीब 40 लाख रूपये के सोने के आभूषण से संबंधित दस्तावेज, संदिग्ध अधिकारी व परिवारजनों के कुल 19 बैंक खातों में करीब 12 लाख रूपये, करोड़ों रूपये का लेनदेन होने, आरोपी के बच्चों की महंगी स्कूलों में शिक्षा में लाखों रूपये का निवेश वगैरह से संबंधित तथ्य प्रकट हुए। बैंक लॉकरों की तलाशी लिया जाना शेष है। आरोपी के लग्जरी अपार्टमेंट/विला के निर्माण के मूल्यांकन हेतु वेल्यूवर द्वारा मूल्यांकन किया जा रहा है।
यह उल्लेखनीय है कि संदिग्ध अधिकारी द्वारा सम्पति एंव वाहन खरीदने हेतु करोड़ो रूपयों का बैंकों से लोन लिया जाकर उनका आश्चर्यजनक तरीके से समय-पूर्व अल्प अवधि में ही भुगतान किया जाना पाया गया।
ब्यूरो के प्राथमिक आंकलन, प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं अब तक तलाशी में मिले दस्तावेजों के अनुसार आरोपी हरिप्रसाद मीणा द्वारा अपने अल्प सेवाकाल में भ्रष्टाचार के साधनों द्वारा करोड़ों रुपये की कीमत की अनेक चल-अचल परिसम्पत्तियां अर्जित करने का अनुमान है, जो उनकी वैध आय से आनुपातिक रूप से बहुत अधिक है इसके अतिरिक्त आरोपी एवं उसके परिजनों द्वारा कई अन्य परिसम्पत्तियों में निवेश के साक्ष्य मिले है, जिनकी विस्तृत जाँच की जायेगी।
एसीबी की अतिरिक्त महानिदेशक श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव के निर्देशन में ए.सी.बी. की विभिन्न टीमों द्वारा आरोपी के ठिकानों पर तलाशी अभियान जारी है। मामले में एसीबी द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के प्रकरण में अग्रिम अनुसंधान किया जावेगा।


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