भीलवाड़ा| राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज, भीलवाड़ा में नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) की ओर से ष्भ्ंचचपदमेेरू ठमलवदक जीम ॅीपजम ब्वंजष् विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य मेडिकल छात्रों और चिकित्सकों को उनके पेशेवर जीवन के तनाव से परे व्यक्तिगत सुख, मानसिक संतुलन और आंतरिक संतोष के महत्व को समझाना था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज की प्राचार्या डॉ. वर्षा अशोक सिंह ने की। मुख्य वक्ता जयपुर के प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. ललित मोहन शर्मा रहे, जिन्होंने बेहद संवेदनशील अंदाज में छात्रों से संवाद करते हुए बताया कि डॉक्टर केवल एक पेशेवर नहीं होता, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी होता है जिसकी अपनी भावनाएँ, इच्छाएँ और मानसिक जरूरतें होती हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करते हुए छात्रों और चिकित्सकों को अक्सर मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, और इस स्थिति में उन्हें अपने आंतरिक आत्मबल व खुशी को जीवित रखना बेहद आवश्यक है।
सत्र के दौरान तनाव प्रबंधन, माइंडफुलनेस, कार्य-जीवन संतुलन और आत्मिक शांति जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। डॉ. शर्मा ने उपस्थित छात्रों को यह भी बताया कि जीवन की दौड़ में खुद को समय देना, मन की सुनना और अपने अंदर की खुशी को पहचानना एक अच्छे डॉक्टर बनने जितना ही महत्वपूर्ण है।
छात्रों ने इस प्रेरणादायक सत्र को बेहद उपयोगी बताते हुए कहा कि यह उनकी सोच को नई दिशा देने वाला साबित हुआ। खास तौर पर उन्हें यह जानकर सुकून मिला कि मेडिकल प्रोफेशन में व्यस्तता के बीच भी खुद के लिए खुश रहना संभव है।
कार्यक्रम में भीलवाड़ा इकाई के एनएमओ अध्यक्ष डॉ. जी वी दिवाकर, सचिव डॉ. सुरेश भदादा, डॉ. आर एस सोमानी, डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. आर एस धाकड़, डॉ. डी एल कास्ट, डॉ. दुष्यंत शर्मा, डॉ. अतुल हेडा, डॉ. परिहार, डॉ. चित्रा पुरोहित, डॉ. शैशव सोमानी, डॉ. महेश चैधरी, डॉ. सोनल अग्रवाल, डॉ. सहवाल सहित कई वरिष्ठ चिकित्सकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का मंच संचालन संयम कोठारी और कनिका माथुर ने किया। एनएमओ मंत्र का पाठ जयेश नागर और कल्याण मंत्र प्रातिभ जैन द्वारा किया गया। आयोजन को सफल बनाने में विद्यार्थी कार्यकर्ताओं तनिष्का सिंह, तुषार स्वर्णकार, चारु नानकानी, सिया खंडेलवाल एवं उनकी टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।