खेलों की ओर लौटा शाहपुरा का आमलीकलां, 20 साल से वीरान पड़े स्कूल मैदान का हुआ कायाकल्प


बीस वर्षो से स्कूल के खेल मैदान का नहीं हो रहा था उपयोग

30 दिन की कड़ी मेहनत, 300 ट्रोली मिट्टी का भराव कर तैयार किया वाॅलीबाल मैदान

उद्घाटन करते सरपंच मालू ने कहा कि खेल मैदान पर खिलाड़िया के लिए समुचित व्यवस्था करेगें

शाहपुरा के आमलीकलां गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का आठ बीघा क्षेत्रफल में फैला खेल मैदान पिछले बीस वर्षों से पूरी तरह से उपेक्षित और सुनसान पड़ा था। बड़े-बड़े खड्डों और असामाजिक गतिविधियों के कारण यह मैदान खेलकूद की बजाय नशेड़ियों का अड्डा बन गया था। स्कूल प्रशासन भी मैदान की बदहाली और खतरनाक हालात के चलते उसे खेलों के लिए उपयोग करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
लेकिन, एक महीने पहले विद्यालय की प्राचार्य सुश्री नीलम और ग्राम पंचायत के सरपंच सत्यनारायण मालू ने इस मैदान को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। उन्होंने गांव के युवाओं और स्कूल के खिलाड़ियों को एकत्र कर मैदान को फिर से खेल गतिविधियों के लिए तैयार करने का प्रस्ताव रखा। यह सुनते ही सभी युवाओं और ग्रामीणों ने एकस्वर में सहयोग देने की हामी भरी।
संकल्प के अगले ही दिन से मैदान के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया आरंभ हो गई। ग्रामीणों और युवाओं ने न केवल श्रमदान किया, बल्कि आर्थिक सहयोग भी जुटाया। सभी ने मिलकर महज 30 दिनों में इस उपेक्षित मैदान का कायाकल्प कर डाला। खड्डों को पाटने के लिए लगभग 300 ट्रॉली मिट्टी का भराव किया गया और समतलीकरण का कार्य किया गया। साथ ही मैदान पर हुए अतिक्रमणों को भी हटाया गया।
जीर्णोद्धार के पहले चरण में यहां वॉलीबॉल मैदान तैयार किया गया, जिस पर नेट भी बांधी गई। इसके बाद प्राचार्य सुश्री नीलम और सरपंच सत्यनारायण मालू की उपस्थिति में वॉलीबॉल मैदान का विधिवत उद्घाटन हुआ। उद्घाटन समारोह में गांव के युवा, स्कूल के छात्र और ग्रामीणों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
उद्घाटन अवसर पर सरपंच सत्यनारायण मालू ने वादा किया कि वे मैदान के मुख्य द्वार का निर्माण, जल निकासी के लिए नाले की व्यवस्था, सार्वजनिक शौचालय, पेयजल टंकी व नल कनेक्शन, खिलाड़ियों के बैठने के लिए सीमेंट की बेंचें और मैदान में स्थित कुएं की सफाई की जिम्मेदारी भी उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब इस मैदान पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, ताकि गांव की खेल प्रतिभाएं निखर सकें।

यह भी पढ़ें :  डाक विभाग में चल रहा योजनाओं का प्रचार प्रसार

प्राचार्य नीलम ने कहा कि इतने वर्षों से जो छात्र सिर्फ किताबों तक सीमित थे, अब उन्हें मैदान में अपनी खेल प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि यह पहल विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी थी।
विद्यालय के शारीरिक शिक्षक जय प्रकाश आचार्य ने जानकारी दी कि यह खेल मैदान आमली बंगला चैराहे पर स्थित है और लगभग दो हेक्टेयर में फैला हुआ है। बीते दो दशकों से यह मैदान गहराई वाले गड्ढों, अतिक्रमण और नशे की गतिविधियों के कारण बेकार पड़ा था। अब जब यह पुनः उपयोग के योग्य बन गया है, तो यह स्कूल और गांव दोनों के लिए बड़ी उपलब्धि है।
खेल मैदान के निर्माण में विद्यालय परिवार ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्राचार्य सुश्री नीलम, जय प्रकाश आचार्य, रामावतार जाट, लोकेश रेगर सहित पूरे स्कूल स्टाफ ने ग्रामीणों के सहयोग से पूरे 30 दिनों तक मेहनत की। लगभग एक लाख बीस हजार रुपये की लागत से मैदान को समतल किया गया और वॉलीबॉल कोर्ट बनाया गया। यह पूरी राशि धनसंग्रह से जुटाई गई।
इस पुनीत कार्य में गांव के अनेक गणमान्य नागरिकों ने भी तन-मन-धन से सहयोग किया। इन लोगों में सरपंच सत्यनारायण मालू, सचिव शेर सिंह, भामाशाह किशन बणजारा, हितेन्द्र सिंह राणावत (मिन्टू बन्ना), राधेश्याम बलाई, निबेरा बगाली, गिरिराज पटवारी, लादू बोहरा, गोपाल बोहरा, श्यामलाल जाट, रामलाल बंजारा, कैलाश सुथार, हेमराज रेगर, कल्याण सिंह राणावत, अहमद कायमखानी, मुंशी खाँ, कमलेश वैष्णव, सुरेश शर्मा, राधेश्याम बंजारा, सत्यनारायण सुवालका, आत्माराम वैष्णव, शिवराज चैधरी, सांवरा धाकड़, महावीर दरोगा, संदीप सोमाणी, दिनेश पांचाल, कालू बंजारा, रोड बजारा, गोपीलाल बंजारा, शेरू सुवालका, महावीर शर्मा, कानसिंह, रामदेव माली, बिहारी बंजारा, सोनू माली, कमलेश जाट, लेखराज जाट, बिरभान बंजारा, रामप्रसाद बलाई, रंगलाल जाट और भागचन्द जाट जैसे अनेक लोगों का योगदान शामिल है।
इस सामूहिक प्रयास से एक ओर जहां युवाओं को खेल की दिशा में नया मंच मिला है, वहीं ग्रामीण समाज में भी सामूहिकता, सहयोग और सेवा का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत हुआ है। अब उम्मीद की जा रही है कि यह खेल मैदान भविष्य में अनेक खिलाड़ियों को तराशेगा और गांव के गौरव को नई ऊंचाई देगा।


WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now