शाहपुरा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लोक परंपरा को जीवंत करती फड़ चित्रकला अब इंदौर में अपनी छाप छोड़ रही है। इंदौर के ब्रिलिएन्स कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ऋतु रंग कला गैलरी के तत्वावधान में चल रही कला प्रदर्शनी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार विजय जोशी द्वारा शाहपुरा शैली की दुर्लभ फड़ चित्रकला का भव्य प्रदर्शन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी को कला प्रेमियों व विशेषज्ञों द्वारा अत्यंत सराहा जा रहा है।
विजय जोशी द्वारा प्रदर्शनी में रामायण, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, गीत गोविंद, संयोगिता हरण, पद्मिनी का जौहर, गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, भगवान महावीर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर आधारित फड़ चित्रकृतियाँ प्रस्तुत की गई हैं। इन चित्रों को देखकर दर्शक भाव-विभोर हो रहे हैं, क्योंकि इनमें न केवल रंगों की भव्यता है, बल्कि कथा और इतिहास का अद्भुत मेल भी है। इन कलाकृतियों को देखने वालों ने एक स्वर में कहा कि यह प्रदर्शनी कला, परंपरा और भारतीयता की जीवंत झलक है।
शाहपुरा शैली की 700 वर्षों की गौरवशाली विरासत
फड़ चित्रकला की शाहपुरा शैली का उद्भव करीब 700 वर्ष पूर्व शाहपुरा रियासत में हुआ था। यह शैली अपने कथा आधारित चित्रण, रंग संयोजन और बारीक चित्रांकन के लिए विश्वविख्यात है। विजय जोशी इसी गौरवशाली परंपरा के वंशज हैं, जिन्होंने अपने पूर्वजों की अमूल्य धरोहर को न केवल संरक्षित किया, बल्कि उसे देश-विदेश में पहचान दिलाई।
पारिवारिक परंपरा का जीवंत उदाहरण
विजय जोशी के पिता शांतिलाल जोशी स्वयं भी अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फड़ चित्रकार रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में विजय जोशी ने फड़ कला की बारीकियों को आत्मसात किया और उसे नए रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने न केवल पारंपरिक लोक देवताओं की फड़ तैयार की, बल्कि ऐतिहासिक और समकालीन महान विभूतियों की जीवन गाथाओं को भी अपनी कला में उतारा। यही कारण है कि उनकी कलाकृतियाँ आज देश के कोने-कोने में प्रदर्शित हो रही हैं और सराही जा रही हैं।
सम्मानों की लंबी श्रृंखला
वर्ष 1991 में विजय जोशी को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अनेक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि देशों में भी फड़ कला का प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शाहपुरा शैली को पहचान दिलाई है।
जोशी परिवार, शाहपुरा की पहचान
जोशी परिवार आज भी मूल शाहपुरा में रहकर इस कला को सहेज रहा है। विजय जोशी के पुत्र विवेक जोशी को भारत सरकार द्वारा पेंटिंग में फेलोशिप और स्कॉलरशिप प्रदान की गई है। इस परिवार ने अपने समर्पण और साधना से यह सिद्ध कर दिया है कि जब परंपरा और नवाचार का समन्वय हो, तो वह कला को अमर बना देता है। जोशी परिवार का कोई सदस्य शाहपुरा के बाहर बसकर इस शैली का कार्य नहीं कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शाहपुरा शैली की असली और प्रामाणिक पहचान सिर्फ इसी परिवार के पास सुरक्षित है। यह परिवार न केवल कला का संरक्षण कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसके लिए तैयार कर रहा है।
कला प्रेमियों की प्रतिक्रिया
प्रदर्शनी में पहुंचे कला मर्मज्ञों का कहना है कि शाहपुरा शैली में चित्रित ये फड़ न केवल दृश्य सौंदर्य की दृष्टि से अद्भुत हैं, बल्कि इनमें भावों की गहराई, ऐतिहासिकता और आध्यात्मिकता का भी समावेश है। अमिताभ बच्चन जैसे समकालीन व्यक्तित्व पर आधारित फड़ चित्रों ने दर्शकों को चैंका दिया, वहीं महात्मा गांधी और महावीर स्वामी जैसे महापुरुषों की फड़ ने दर्शकों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया।
कला और संस्कृति का संगम बनी प्रदर्शनी
यह प्रदर्शनी केवल चित्रों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह शाहपुरा की सांस्कृतिक पहचान, परंपरा और कला साधना का एक जीवंत दस्तावेज है। विजय जोशी ने इसे जिस सच्चाई और संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है, वह उन्हें एक सच्चा कला साधक सिद्ध करता है।
शाहपुरा का नाम विश्व पटल पर
जोशी परिवार के प्रयासों से आज शाहपुरा शैली न केवल राजस्थान की पहचान बन चुकी है, बल्कि विश्वभर के कला मंचों पर भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है। यह प्रदर्शनी न केवल इंदौर के लिए गौरव की बात है, बल्कि शाहपुरा वासियों के लिए भी गर्व का विषय है कि उनका नाम एक बार फिर कला के वैश्विक मंच पर उजागर हो रहा है।