डीग 3 फरवरी – भागवत का अर्थ ज्ञान भक्ति और वैराग्य है, इन तीनों में से किसी एक की कमी होने पर ईश्वर की भक्ति प्राप्त नहीं होती है यह वाक्य डीग जिलें के गांव सांवई में गोपाल प्रसाद बौहरे के निवास पर आयोजित हो रही श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन व्यास पीठ पर विराजमान पूज्य भागवत प्रवक्ता पंडित घनानंद शास्त्री ने कहे।
उन्होने कहा कि श्री मद्भागवत वेदरुपी वृक्ष का पका हुआ फल है,इस रस का पान पिपासु बनकर ग्रहण करना चाहिए।जब जब अवसर मिले भागवत ग्रहण करने में पीछे नही हटना चाहिए।जब मन अशुद्ध होता है तो संसार में लगता है,और जब मन शुद्ध होता है तो सिर्फ मन भगवान की कथा में लगता है।उन्होने कहा कि जिसमें मानवता नही है वो मानव नही है।मानव वो है जो किसी के काम आ जाये।ईश्वर का भजन करें।किसी को तकलीफ़ न दे।और बड़ों को सम्मान दे यही मानवता है।व्यक्ति संसार में केवल कर्म लेकर आता है।इसलिए अच्छे कर्म करों।भाग्य,भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो।केवल सुनो ही नही भागवत की मानो भी। श्रीमद् के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है।श्री यानी जब धन का अंहकार हो जाये तो श्री मद्भागवत सुन लो अंहकार दूर हो जायेगा।उन्होंने कहा कि कलयुग में मुक्ति का सबसे उत्तम साधन भागवत कथा का श्रवण व भगवान नाम का सुमिरन करना है।
इस अवसर पर भगवान देवी,गौरव,अमन,सौरभ,मदनमोहन,दिनेश,विष्णु,दिलीप,बनवारी,रोहित सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।