5121 कुंडीय रुद्र महायज्ञ में उमड़ रहा जन सैलाब
गुजरे पांच दिवस में पूर्ण हुई 5 करोड 14 लाख 91 हजार 655 आहुतियां
भरतपुर|भरतपुर, जयपुर नेशनल हाइवे के गांव उलूपुरा कमलापुरा पर शिवा आश्रम श्रीपंच जूना अखाडा गांव नंगला जग्गे औलेण्डा (आगरा) के राष्ट्रीय सन्त दिगम्बर परमहन्स शोभानन्द भारती के सानिध्यं में 4 मई से आयोजित हो रहे 5121 कुण्डिय रूद्र महायज्ञ, शिवपुराण कथा,रासलीला,सन्त दर्शन आदि धार्मिक कार्यक्रम में छह करोड़ से अधिक श्रद्धालुओ ने भाग लेकर संत दर्शन किए और राम व शिव पुराण कथा, संत प्रवचन, 5121 कुंडिय , रुद्र महायज्ञ, रासलीला, महाप्रसादी आदि का आनन्द ले रहे हैं। ये रुद्र महायज्ञ 14 मई से
शुरु हुआ, जो 24 मई तक जारी रहेगा। यज्ञ के पांचवे दिन रविवार तक 5 करोड 14 लाख 91 हजार 655 आहुतियां पूर्ण हो गई। 24 मई तक 11 करोड 32 लाख 81 हजार 641 आहुतियां का लक्ष्य रखा गया है। जिस यज्ञ को काशी, हरिद्वार, वृन्दावन, बनारस, उज्जैन आदि तीर्थ स्थल से आए 51 सौ 21 विद्वान पण्डित करा रहे हैं।
यज्ञ सम्राट दिगम्बर परमहन्स शोभा नन्द भारती ने कहा कि जीवन के समग्र विकास में यज्ञ की भूमिका है और यज्ञ से दुनिया में शान्ति कायम रहती है,परिवार,
घर में शान्ति बनी रहती है। सन्त ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान के मूल आधार यज्ञ व गायत्री हैं। वेद हमारे ज्ञान का स्रोत रहे हैं, वेद के विषय पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होगा कि वेद का मुख्य केन्द्र बिन्दु यज्ञ ही रहा है। प्राचीनकाल से ही यज्ञ की महिमा का गुणगान विभिन्न वैदिक वाड.मय ने किया है। वेदों के मंत्रों से यज्ञ के स्वरूप व महिमा गूंजित होती है। यज्ञ द्वारा अनेक लाभ प्राप्त किये जाते रहे हैं, भौतिक स्तर, आध्यात्मिक स्तर अथवा राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ हो, स्वास्थ्य संबंधी किसी भी रोग से ग्रसित हो, सभी में यज्ञ का प्रत्यक्ष लाभ हो सकता है। यज्ञ केवल कर्मकाण्ड तक ही नहीं अपितु जीवन दर्शन तक विस्तृत है, यज्ञ से हमें श्रेष्ठ कर्मो की प्रेरणा भी मिलती है। इन सभी तथ्यों का वर्णन वेदों में किया गया है किन्तु वर्तमान में हम इन वैदिक ज्ञान से पूर्णरूप से भिज्ञ नहीं है अतः आवश्यकता है कि हम वैदिक ज्ञान में निहित यज्ञ के स्वरूप से भलिभाँति परिचित हों। यह शोध पत्र इन्हें उद्देश्यों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया।