Shri Ganesh Mandir, Moti Dungri: श्री गणेश मन्दिर, जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर।


Shri Ganesh Mandir, Moti Dungri: यूं तो भारतभर में गणेशजी के हजारों मंदिर है परंतु उनमें से कुछ तो बहुत ही खास, चमत्कारिक और प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही मंदिर है जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर।

इस मंदिर की 5 खास बातें

  1. तलहटी में स्थित इस मंदिर की गणेश प्रतिमा 1761 में जयपुर के राजा माधौसिंह की रानी के पैतृक गांव मावली (गुजरात) से लाई गई थी। हालांकि यह प्रतिमा 1761 से पहले भी 500 सालों से ज्यादा पुरानी मानी जाती है। करीब 760 साल से भी पुरानी है यह प्रतिमा।
  2. कहते हैं कि जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
  3. गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा और दीपावली पर यहां विशेष उत्सव होते हैं। सामान्य तौर पर गणेश उत्सव के दौरान यहां 50 हजार से ज्यादा लोग प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं। मोती डूंगरी गणेश के प्रति जयपुर के लोगों की गहरी आस्था है।
  4. यहां पर व्यक्ति यदि कोई भी नया वाहन खरीदता है तो सबसे पहले वह मोती डूंगरी गणेशजी के पास ही लाता है और यहां पर विवाह का पहला कार्ड भी इन्हीं को दिया जाता है।
  5. यहां पर गणेशजी को हनुमानजी की तरह ही सिंदूर का चोला चढ़ता है और भव्य श्रृंगार होता है।
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Shri Ganesh Mandir, Moti Dungri: श्री गणेश मन्दिर, जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर।

गणेश चतुर्थी के दौरान सभी गणेश मंदिरों को खूबसूरती से सजा दिया जाता है। इन दिनों के दौरान लोग कोशिश करते हैं कि वह अलग-अलग मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन कर सकें। भारते के कई मंदिरों में से एक है जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर। मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के जयपुर में एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर है और एक खूबसूरत महल से घिरा हुआ है। पत्थर की नक्काशी से बना ये मंदिर, संगमरमर पर उत्कृष्ट जाली के काम के लिए भी जाना जाता है। संगमरमर के पत्थरों पर उकेरी गई कई पौराणिक छवियां कला प्रेमियों को पसंद आएंगी। गणेश चतुर्थी के समय मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है।

क्या है मंदिर का इतिहास

कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि एक दिन मेवाड़ के राजा लंबी यात्रा के बाद अपने महल वापस जा रहे थे और उनके पास बैलगाड़ी में गणेश की मूर्ति थी। राजा एक मंदिर बनवाना चाहते थे और उन्होंने तय किया था कि जहां भी पहली बार गाड़ी रुकेगी वही मंदिर बनेगा। ऐसे में कहा जाता है कि राजा की गाड़ी मोती डूंगरी पहाड़ियों के नीचे रुकी और यही वह जगह है जहां आज गणेश मंदिर है। फिलहाल ये मंदिर जयपुर के फेमस पर्यटन स्थलों में शामिल हो चुका है।

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बुधवार को लगता है मेला

भगवान गणेश की प्रार्थना करने के लिए बुधवार को एक बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। ऐसे में अगर आप बुधवार को गणेश मंदिर जा रहे हैं तो आपको इस दिन एक खास मेला देखने को मिलेगा। इस दिन मंदिर में खूब रौनक होती है। कुछ लोग मंदिर में कीर्तन करते हैं।

महल है निजी संपत्ति

मंदिर परिसर के चारों ओर बना महल स्कॉटिश महल जैसा दिखता है। हालांकि, इस महल में जाने की अनूमति नहीं है क्योंकि ये एक पर्सनल प्रॉपर्टी है।

आरती का समय

मंगला आरती     प्रातः 4.00 बजे

विशेष पूजा        प्रातः 11.20 बजे

श्रृंगार आरती     प्रातः 11.30 बजे

भोग आरती      दोपहर 2.15 बजे

संध्या आरती    सायंकाल 7.00 बजे

शयन आरती     रात्रि 11.45 बजे

मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर के लाइव दर्शन मन्दिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर 

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https://www.motidungri.com/live.html


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