हवन यज्ञ व भंडारे के साथ हुआ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

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हवन यज्ञ व भंडारे के साथ हुआ श्रीमद् भागवत कथा का समापन

कामां रामबाबू दीक्षित, कामां तीर्थराज विमलकुन्ड स्थित जगन्नाथ जी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा शुक्रवार को संपन्न हो गई कथा के समापन के दूसरे दिन शनिवार को हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया भागवत कथा का आयोजन जगन्नाथ मंदिर के भक्तों की ओर से करवाया गया कथा व्यास रामजीलाल शास्त्री ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा की महिमा बताई उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जोड़ने और सत्कर्म करने को कहा रामजीलाल शास्त्री ने कहा की हवन यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है श्रीमद् भागवत से जीव में भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है कथावाचक रामजीलाल शास्त्री ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है पहले प्र का अर्थ प्रभु दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं हर कथा या अनुष्ठान का तत्व सार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है कथा समापन के दिन शनिवार को विधि विधान से पूजा करवाई दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया गांवों व कस्बे से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली पूजन के बाद दोपहर को भंडारा बांटा गया और श्रद्धालुओं ने प्रेम और श्रद्धा के साथ भंडारा ग्रहण किया


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