बडोदिया|आर्यिका सुयशमति माताजी ने उनकी दीक्षा गुरू आर्यिका विज्ञानमति माताजी द्वारा रचित विवेक मंजुषा पर प्रवचन देते हुए सुक्ष्म जीवो के प्रति करूणा के उन शब्दो को प्रकट करते हुए कहा कि जिन मंदिर में पंखा,कुलर व ऐसी चलाकर कोई पुजन,स्वाध्याय या माला जप रहा है तो समझना कि वह धर्म नही बल्की पाप कर रहा है । यह विचार आर्यिका ने श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बडोदिया धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि छोटे से छोटे जीव पर दया करूणा करो यह भी एक धर्म का पाठ है तथा इनसे ही हमारा पुण्यं बढेगा । आर्यिका उदितमति माताजी ने कहा कि जिन मंदिर एक पवित्र स्थान होता है उसकी पवित्रता तभी बनी रहेगी जब श्रावक हर कार्य वहा पर विवेक पुर्वक करने लगेगा वहां पर पंखा व ऐसी चलाकर शरीर को आराम देते हुए धर्म नही होता है । धर्म तो तप करने से होता और शरीर तपेगा तो निखरेगा । आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि जब आपके साधु संत बीना पंखे व कुलर के रह सकते है तो श्रावक जितने समय के लिए मंदिर आता है उतने समय के लिए तो पापो से बचे । माताजी ने कहा कि अन्य क्षेत्र के किए पाप तो मंदिर में आकर कट जाएगें पर धर्म क्षेत्र में किए पाप कही पर कटने वाले नही वह तो यही भोगने पडेगें । उस समय सभी यह बोलते है हम बहुत धर्म करते है फीर भी हमारे पर संकट क्यु आते है तो बंधुओ सुन लो तुम बडे पापो से तो बच जाते हो पर छोटे छोटे पापो पर ध्यान नही देते यही दुख का कारण है । आर्यिका रजतमति माताजी ने सभी श्रावको को 24 अगस्त को चंदन षष्ठी वृत करने का कहते हुए कहा कि सभी को ज्यादा से ज्यादा उपवास करना चाहिए व बड़ोदिया में इस दिन चंद्र प्रभु विधान कर भक्ति की जाएगी । चातुर्मास समिति अध्यक्ष केसरीमल खोडणिया ने बताया कि आर्यिका संघ के सानिध्य में प्रात,मध्यान व शाम को तीनो समय धार्मिक कक्षाओं के माध्यम से ज्ञानार्जन कराया जा रहा है ।