डीग 16 मई|डीग जिले के गांगरसोली गाँव में कृषि विज्ञान केन्द्र, कुम्हेर, की ओर से प्राकृतिक खेती पर कृषि सखियों का कौशल विकास पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस दौरान कुल 40 महिलाओं व पुरूषों ने भाग लिया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. नवाब सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरकों व कीट नाशकों का असंतुलित एवं अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्परिणाम स्वरूप जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, मृदा का क्षरण, अस्वस्थ जीवन शैली से स्वास्थ्य संबंधी समस्या उत्पन्न हो रही है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने का एकमात्र विकल्प है, “प्राकृतिक खेती”। केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ. प्रियंका जोशी ने महिलाओं को प्राकतिक खेती में उपयोग आने वाले जैविक खाद जैसे जीवामृत और बीजामृत बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया एवं बताया कि प्राकतिक खेती एक रसायन मुक्त कृषि प्रणाली है एवं स्थानीय रूप से उपलब्ध देसी गाय का गोबर, गौमूत्र, जैव संसाधन आदि का ईष्टतम उपयोग कर विभिन्न जैविक खाद बनाई जा सकती है। प्राकृतिक एवं जैविक खाद को अपनाकर किसान भाई कम लागत से अपने खेतों में मृदा के स्वास्थ्य एवं कार्बनिक पदार्थ में सुधार, मृदा की नमी धारण क्षमता में वृद्धि, संतुलित पोषण, गुणवत्ता एवं उपज में वृद्धि ला सकेगें। केन्द्र के यंग प्रोफेशनल राकेश कुमार ने भी कार्यक्रम में प्रतिभागियों को उपयोगी जानकारियाँ प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया।