जीवन को सकारात्मक कार्यो एवं भक्ति से सफल बनाए: श्री श्री नमन कृष्ण महाराज


नैनीताल।ललित जोशी/हर्षित जोशी।सरोवर नगरी नैनीताल में नव साँस्कृतिक सत्संग समिति शेर का डांडा द्वारा सात नम्बर स्थित रामलीला प्रांगण में आयोजित संगीतमय देवी भागवत में सैकड़ों श्रद्धालुऔ द्वारा कथा श्रवण का लाभ लिया जा रहा है।

व्यास के रूप में कथा वाचन करते हुए भागवत किंकर नमन कृष्ण महाराज ने मानव जीवन को समझ कर इसे सदकार्यों में लगाने की प्रेरणा देते हुए भगवत कार्यों में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग हेतु प्रेरित किया।
कथा के दौरान सत रज तम गुणों के समन्वय के साथ अनिश्चित जीवन को निरंतर सकारात्मक कार्यों में लगाने के प्रसंगों का वर्णन किया। साथ ही ज्ञान प्राप्त होने पर घमंड से बचने का आह्वान किया। मधुर कंठ के धनी व्यास भागवत किंकर नमन कृष्ण महाराज जी के मार्गदर्शन में आचार्य विवेक पांडे, आचार्य विवेक पोखरिया जी के साथ संगीत टीम में संगीताचार्य रवि शंकर शास्त्री, तबले में छोटू शरण शर्मा, बेंजो में दीपक शर्मा, की बोर्ड में मोहन शर्मा तथा विमल जी द्वारा वायलिन की संगत से वातावरण को भक्तिमय बनाने में योगदान दिया जा रहा है।

भागवत कथा के साथ दैनिक पूजन के क्रम में यजमानों के रूप में समिति के सदस्यों द्वारा सपत्नीक योगदान दिया जा रहा है। यजमानों में खुशाल सिंह रावत एवं उनकी धर्म पत्नी लता रावत, सचिव पी सी पांडे निर्मला पांडे, प्रकाश चंदोला बीना चंदोला, हिम्मत सिंह जया बिष्ट, संतोष पंत चित्रा पंत, दिनेश जोशी कमला जोशी, उमेश सनवाल कविता सनवाल, कैलाश जोशी इंद्रा जोशी, इंद्र सिंह रावत सुमन रावत, कंचन चंदोला बीना चंदोला, हिमांशु पांडे दीपा पांडे, सहित नवीन चंदोला, प्रकाश चंद्र सती, दिनेश पांडे एवं हेमू तिवारी द्वारा विश्व शांत की प्रार्थना के साथ जगत कल्याण के लिए पूजन अर्चन में योगदान दिया जा रहा है।

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देवी भागवत के भव्य आध्यात्मिक आयोजन में कार्यकर्ताओं के रूप में गौरव जोशी, विकास बड़ोला, बबलू, रौनक, मोहित, संस्कार, नीरज, तरुण, सहित विभिन्न समितियों में वरिष्ठ सदस्यों वीरेंद्र जोशी, प्रकाश पांडे, हरीश बुधलाकोटी, ललित गोस्वामी, ललित मोहन पांडे, दीपक पांडे, कुँवर सिंह बिष्ट, चंद्रशेखर जोशी, चंदन जोशी, दीपक जोशी, पंकज वर्मा, गणेश लोहनी, कमल किशोर बिष्ट आदि सहित ललित जोशी द्वारा विशेष योगदान दिया जा रहा है।

कथा के दौरान व्यास जी ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि – कलियुग केवल नाम आधारा, सुमीर सुमिर नर उतरहीं पारा। अर्थात भगवान के जिस स्वरूप से मन जुड़ जाय उसी से हमारा उद्धार हो जाएगा, लेकिन मन से जुड़ना जरूरी है। एके साधे सब सधे के मंत्र से अपना मन अपने इष्ट से लगाएं और अपना कल्याण करें।


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