सुदामा किसी व्यक्ति का नाम नहीं, सुदामा गुण का नाम है-कथा व्यास


श्रीमद् भागवत कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है,जब इसे अपने जीवन में अपनाया जाय-पं.सुरेन्द्र तिवारी

मनुष्य दैहिक मोह और विकार से स्वयं को मुक्त कर ले तो परमात्मा प्राप्ति की अनुभूति हो जाती है-पं.सुरेन्द्र तिवारी

प्रयागराज। श्रीमद् भागवत पुराण कथा के समापन पर वृहस्पतिवार को ग्राम चाँडी टीएसएल नैनी में कथा वाचक व्यास पं. सुरेन्द्र तिवारी ने सुदामा चरित्र, द्वारिका लीला आदि कथा सुनाते हुए कहा ब्राह्मण बिना धन-भोजन के रह सकता है, भजन बिना नहीं रह सकता। भक्ति के चार गुण व्यक्ति के अंदर आ जाएं तो उसे मेरा गोविंद गले लगा लेते है। सुदामा किसी व्यक्ति का नाम नहीं सुदामा गुण का नाम है। उन्होंने कहा कि सखा किसे कहते हैं, उल्टा करके देखो जो खास होता है।दीन-दुखी असहाय को हीन दृष्टि से नहीं देखनीं चाहिए। घर आए व्यक्ति का अतिथि समझकर सेवा सत्कार करना प्रत्येक मनुष्य को अपना कर्तव्य समझना चाहिए। व्यासपीठ से सुरेन्द्र तिवारी ने बताया की कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे अपने जीवन में शामिल किया जाए। जिस दिन मनुष्य दैहिक मोह और अपने विकार से स्वयं को मुक्त कर लेता है, उसी दिन उसे परमात्मा की प्राप्ति की अनुभूति हो जाती है। मुख्य यजमान सिया दुलारी शुक्ला रहीं। आयोजक जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ल, शिव यज्ञ शुक्ल, मुकेश कुमार शुक्ल आदि के साथ भागवत प्रेमी दिलीप कुमार चतुर्वेदी, आनन्द तिवारी, मिथिलेश पांडेय, कमलेश शुक्ल, राकेश शुक्ल, अम्बादत्त शुक्ल, चन्द्र प्रकाश तिवारी सहित भारीं संख्या में क्षेत्र नर-नारी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर अपने अपने जीवन को कृतार्थ किया।


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