कल के बेहतरीन स्वास्थ्य एवं उज्जवल भविष्य के लिए मेरे वजूद को बनाए रखना, मैं मिट्टी हूं


कल के बेहतरीन स्वास्थ्य एवं उज्जवल भविष्य के लिए मेरे वजूद को बनाए रखना, मैं मिट्टी हूं

बांसवाड़ा, बांसवाड़ा, अरूण जोशी ब्यूरो चीफ: आज विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य में वाग्धारा संस्था द्वारा राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं गुजरात के 1041 गांवों में हजारों लोगों के समूह के साथ में विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कल के सुनहरे भविष्य को लेकर आज हमें किस प्रकार से मिट्टी का बचाव करना है मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखना है एवं मिट्टी के संरक्षण को हमें बढ़ावा देना है तभी हमारे कल के उत्तम स्वास्थ्य एवं सुनहरे भविष्य की कल्पना हम कर सकते हैं। संस्था के माध्यम से हजारों लोंगों के समूह के साथ में जगह-जगह मिट्टी पूजन,मिट्टी को लेकर संगोष्ठी एवं रैलीयों का आयोजन कर संदेश दिया गया कि हम सब का एक ही उद्देश्य है कि मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखे। यह हम सबके लिए चुनौती पूर्ण है क्योकि दिन-ब-दिन मिट्टी की गुणवत्ता समाप्त होती जा रही है। आज सभी लोग यही चाहते हैं कि किसी न किसी प्रकार से में इस जमीन में से दोहन करते हुए अत्यधिक अनाज पैदा करूं एवं अत्यधिक जितना हो सके उसका दोहन कर हमारे भण्डार भरे जाए परंतु इस अंधेपन में हर कोई यह नहीं जानता है कि आखिरकार हम किस और जा रहे हैं क्योंकि अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के कारण मिट्टी उसर होती जा रही है। एवं अपनी गुणवत्ता खोती जा रही आजकल खेतों में किसान भाई देसी खाद का उपयोग न के बराबर करते हैं एवं वर्ष में अनेकों बार रासायनिक दवाइयां का छिड़काव करते हैं ज्यादा से ज्यादा पैदावार के लिए अत्यधिक पानी भी देते हैं जिससे मिट्टी गुणवत्ता कम होती जा रही है। संस्था के सचिव जयेश जोशी के द्वारा बताया गया कि हमारे द्वारा समुदाय के साथ में सन्देश दिया गया है की_ आओ मिट्टी को जाने, मिट्टी के है मिट्टी से जुड़े रहे। धरती हमारी मां है मिट्टी के सम्मान को बनाए और मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करें इसी उद्देश्य से हमारा आज विश्व मृदा दिवस पर जो सभी साथी गांव स्तर के संगठनों और प्रत्येक स्वयंसेवक द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं, जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है। जो वर्ष पर्यंत चलते रहेंगे | कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठनों के माध्यम से समुदाय को मृदा के संरक्षण के लिए बताया गया की हमें अत्यधिक देसी खाद का उपयोग करना है खेतों में ज्यादा पानी की मात्रा को नहीं रखना है मिश्रित खेती करनी है मशीनरी के उपयोग को कम करते हुए बैलों के माध्यम से खेती करनी है।रासायनिक उर्वरकता को ख़त्म करना है एवं समय समय पर मिट्टी की जाँच करवानी है वाग्धारा संस्था के पांचा भाई पटेल एवं परमेश पाटीदार के द्वारा बताया की आज गांवों में मिट्टी की पूजा करते हुवे धरती माता की आरती उतारी गई एवं धरती माता के महत्त्व को बताया गया आज भी अगर हम जैविक खेती को नहीं अपनाते है तो आने वाले दिनों में पंजाब एवं हरियाणा राज्य जैसे हालत हमारे यहाँ पर भी हो सकते है क्योंकि वहां पर आज सभी लोंग किसी न किसी भयंकर बीमारी से पीड़ित है एव लोंगों की असमय मृत्यु हो रही है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे कल सुनहरे भविष्य के लिए मृदा का संरक्षण आवश्यक है | आज के इस मौके पर संस्था के साथियों द्वारा हजारों लोंगो को शपथ दिलाई गई की अधिक से अधिक मिट्टी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए देशी खाद को अपनाना है एवं जैविक खेती करनी है | ये जानकारी कमलेश बुनकर ने दी।


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