तहसीलदार एवं बिजली निगम के अधिकारियों ने समझाइश कर समाप्त करवाया ग्रामीणों का धरना


बिजली स्टेशन का नाम बदलवाने सहित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 7 दिन से धरने पर बैठे थे खिजूरी के लोग 

सूरौठ। गांव खिजूरी की जमीन में ढिंढोरा के नाम से बनाए जा रहे 132 केवी बिजली स्टेशन के स्थान का नाम बदलवाने सहित तीन सूत्रीय मांगों को को लेकर खिजूरी के ग्रामीणों की ओर से चल रहे धरने को सूरौठ तहसीलदार रेणु चौधरी एवं बिजली निगम के अधिकारियों ने समझाइस के बाद शुक्रवार को समाप्त करवा दिया। तहसीलदार एवं बिजली निगम के अधिकारियों ने 7 दिन से धरने पर बैठे ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि बिजली स्टेशन का नाम ढिंढोरा से बदल कर खिजूरी करने, खिजूरी में अलग से 33 के वी बिजली स्टेशन बनाने एवं किसानों को फसल की सिंचाई के लिए दिन में बिजली देने का प्रस्ताव तैयार करवा कर राज्य सरकार एवं बिजली निगम के उच्च अधिकारियों को भिजवाया जाएगा तथा जल्द ही खिजूरी के ग्रामीणों की मांगों को पूरा करवाया जाएगा। अधिकारियों के आश्वासन पर ग्रामीण धरना समाप्त करने के लिए राजी हो गए।
हिंडौन एसडीम हेमराज गुर्जर के निर्देश पर शुक्रवार को सूरौठ तहसीलदार रेणु चौधरी, बिजली प्रसारण निगम के अधिशासी अभियंता मान सिंह मीणा, एमपी मीणा, बिजली निगम के सूरौठ सहायक अभियंता सी पी सैन, गिरदावर रामकेश भागौड सहित कई अधिकारी गांव खिजूरी में निर्माणाधीन 132 केवी बिजली स्टेशन परिसर में धरना स्थल पर पहुंचे तथा धरने पर बैठे ग्रामीणों से वार्ता की। ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि सूरौठ तहसील क्षेत्र में बिजली व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार की ओर से मंजूर किए गए 132 के वी बिजली स्टेशन के निर्माण करने के लिए जिला प्रशासन ने उनके गांव खिजूरी की सरकारी भूमि में से करीब 13 बीघा भूमि आवंटित की थी तथा खिजूरी गांव की भूमि में ही 132 केवी बिजली स्टेशन का निर्माण करवाया जा रहा है। खिजूरी की जमीन में बनने के बाबजूद भी राज्य सरकार की ओर से गांव ढिंढोरा के नाम से बिजली स्टेशन बनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बिजली स्टेशन का नाम ढिंढोरा से बदल कर खिजूरी करने, खिजूरी में अलग से 33 के वी बिजली स्टेशन बनाने एवं किसानो को दिन में बिजली देने की मांग की। तहसीलदार एवं बिजली निगम के अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि उनकी मांगों के सम्बन्ध में प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार एवं शीर्ष अधिकारियों को भिजवा कर जल्द ही तीनों मांगो को पूरा किया जाएगा। इसके पश्चात ग्रामीणों ने धरना समाप्त कर दिया। ग्रामीणों ने कहा है कि यदि 15 दिन में अधिकारियों की ओर से दिए गए आश्वासन के मुताबिक उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।


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