आत्म शान्ति से विश्वशान्ति की ओर ले जाने का माध्यम है णमोकार महामंत्र
बामनवास|भगवान् की आराधना ‘वन्दे तद्गुण लब्धये’ अर्थात् उनके गुणों की प्राप्ति के लिए की जाती है। जैनधर्म में एक मुख्य मंत्र ‘णमोकार महामन्त्र’ । इसे हिन्दी में नमस्कार महामन्त्र कहते हैं। इससे लाखों मंत्रों की उत्पत्ति हुई। प्राकृत भाषा में निबद्ध जैन धर्म का यह नमस्कार महामन्त्र पूरे विश्व के इतिहास में एक ऐसा मन्त्र अथवा एक ऐसी प्रार्थना या वंदना है जिसका सम्बन्ध किसी व्यक्ति की पूजा से नहीं,अपितु गुणों की पूजा से है। व्यक्ति में विद्यमान गुणों की स्तुति के रूप में यह णमोकार मंत्र दिगम्बर,श्वेताम्बर यहाँ तक कि जैनधर्म में स्नेह रखने वाले अन्य सभी जैनेतर बन्धु भी अत्यन्त श्रद्धापूर्वक बोलते हैं। यह महामंत्र अनादि से पूरे विश्व में व्याप्त है ।
इस वर्ष महावीर जन्मकल्याणक दिवस के ठीक एक दिन पूर्व जैन अंतर्राष्ट्रीय संस्था और अन्य जैन संगठनों के आह्वान पर वर्धमान दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई एवं बामनवास ब्लॉक के सभी जैन मन्दिरों,घरों और णमोकार महामंत्र प्रेमियों के द्वारा सामूहिक रूप से एक साथ प्रातः 8:01 से लेकर 9:36 बजे तक णमोकार महामंत्र का जाप किया गया l इस अवसर पर श्रावक – श्राविकाओं द्वारा आत्मशांति एवं विश्वशांति के लिए विश्व णमोकार दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का संकल्प किया गया | एक विश्व,एक दिन और एक पवित्र महामंत्र और उसका पवित्र उच्चारण एक साथ पूरे भूमंडल पर व्याप्त हुआ है l जो आत्मशांति से ही विश्वशांति की ओर बेहतर कदम है |
इस अवसर पर श्री वर्धमान दिगम्बर जैन मन्दिर के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार श्रीमाल ने विश्व णमोकार दिवस पर णमोकार महामंत्र के महत्व और उसके रोचक तथ्य के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि यह महामन्त्र अनादि और अनिधन शाश्वत है ।यह सनातन है तथा श्रुति परंपरा में यह हमेशा से रहा है। यह महामंत्र प्राकृत भाषा में रचित है। इसमें कुल पांच पद,पैतीस अक्षर,अन्ठावन मात्राएँ,तीस व्यंजन और चौतीस स्वर हैं एवं लिखित रूप में इसका सर्वप्रथम उल्लेख सम्राट खारवेल के भुवनेश्वर (उड़ीसा)स्थित सबसे बड़े शिलालेख में मिलता है।
‘ॐ’ प्रणवमंत्र में अरहंत,सिद्ध, आचार्य,उपाध्याय और सर्वसाधु ये पांचों परमेष्ठी समाविष्ट हैं। अरिहंत का प्रथम अक्षर ‘अ,अशरीर (सिद्ध) का ‘अ’,आचार्य का ‘आ’,उपाध्याय का ‘उ’, और मुनि (साधु) का ‘म्’ इस प्रकार पंचपरमेष्ठियों के प्रथम अक्षर (अ + अ + आ + उ + म्) को लेकर‘ ॐ’ शब्द बना है। यह महामंत्र सभी पापों का नाशक तथा सभी मंगलों में प्रथम मंगल है।
इस अवसर पर वर्धमान दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में मुकेश कुमार जैन, आशा देवी जैन,सुमनलता जैन,राजुल जैन, मेघना जैन, दक्षिता जैन,भव्य जैन,अयांश ने भी सामूहिक णमोकार महामंत्र के जाप में योगदान प्रदान किया गया |


2014 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 2015 से 2021 तक गंगापुर सिटी पोर्टल (G News Portal) का बतौर एडिटर सञ्चालन किया। 2017 से 2020 तक उन्होंने दैनिक समाचार पत्र राजस्थान खोज खबर में काम किया। 2021 से 2022 तक दैनिक भास्कर डिजिटल न्यूज और साधना न्यूज़ में। 2021 से अब तक वे आवाज आपकी न्यूज पोर्टल और गंगापुर हलचल (साप्ताहिक समाचार पत्र) में संपादक और पत्रकार हैं। साथ ही स्वतंत्र पत्रकार हैं।