सवाई माधोपुर 29 सितम्बर। दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी में चातुर्मासरत मुनि निर्मद सागर महाराज ने रविवार को प्रवचन के दौरान कहा कि दिन की शुरुआत मुस्कान से और बड़ों को प्रणाम करने के साथ करनी चाहिए। चेहरे की मुस्कान से चेहरा सुंदर दिखता है और बड़ों को प्रणाम करने से परिणाम अच्छे बनते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर भगवतता विद्यमान है। उसे अंदर के विकारों व कषायों को समाप्त कर शुभ भावों को उत्पन्न कर आत्म ब्रह्म को पहचान स्वयं ब्रह्म बनने का प्रयास करना चाहिए। जिससे मनुष्य पर्याय सार्थक हो सके।
इसी प्रकार मुनि नीरज सागर महाराज ने कहा कि जीवन को भार स्वरूप नहीं जिए। विवेक के चक्षु जागृत कर लक्ष्य बनाएं और प्रभु भक्ति से जुड़कर भावों को शुभ बनाए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के कर्म ही सृष्टि है, अपने दृष्टिकोण को बदलें तो सृष्टि अपने आप बदल जावेगी।
प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि धर्माेपदेश से पूर्व अतिथियों ने आचार्य विद्यासागरजी के चित्रपट्ट के समय दीप प्रज्जवलित किया गया। बच्चो ने अष्ट द्रव्यों से विद्यासागरजी की पूजा की। वहीं न्यायाधीश मीनाक्षी जैन ने मुनि संघ को शास्त्र भेंट किया। साथ ही समय आराधना चातुर्मास समिति के अध्यक्ष रमेश चंद कासलीवाल के संयोजन में समिति पदाधिकारियों ने विभिन्न स्थानों से आए अतिथियों का भाव भीना अभिनंदन किया।
इसी क्रम में दिगंबर जैन सेवा मंडल चमत्कारजी के तत्वावधान में णमोकार मंत्र व भक्तामर स्त्रोत पाठ हुआ। इसके उपरांत श्रावक श्राविकाओ ने भगवान आदिनाथ की वेदी के समक्ष पंडित अंकित जैन शास्त्री के मंत्रोच्चारण के बीच 48 दीपको से जिनेंद्र देव की आरती उतारी।