कामां 18 मार्च :- तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहाँ श्री हरिकृपा आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि “जगत की चिंता करें जगत्पति” जगत को सुधारने की चिंता यदि हम करें तो जगत सुधरेगा या नहीं पर हम ज़रूर बिगड़ जाएंगे। समाज सुधारक नहीं समाज सेवक बनने का प्रयास करें।उन्होंने कहा कि अपने विवेक को सदैव जागृत रखें। माता-पिता, गुरुजनों, शास्त्र संस्कृति के प्रति श्रद्धा आदर का भाव रखने को भी कहा। संसार की हर वस्तु, पदार्थ, प्राणी नाशवान है। इनका सदैव साथ नहीं रहता तथा परमात्मा का साथ कभी नहीं छूटता है। अतः हमें जगत की यथासामथर्य सेवा करनी चाहिए। तथा सेवा का अवसर मिलने पर स्वयं को सौभाग्यशाली समझना चाहिए व सेवा के आये इस अवसर को हाथ से न जाने देने पर स्वयं को परम सौभाग्यशाली समझना चाहिए। हमें जगत में जब भी संत, गुरू, परमात्मा, बुजुर्ग, माता-पिता व धर्म एवं संस्कृति की सेवा का अवसर मिले तो सेवा अवश्य करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सेवा धर्म इतना सरल नहीं है जितना हमने इसे समझा है यह सबसे कठिन है।परंतु असंभव नहीं है। यदि हम प्रभु स्मरण करते हुए प्रयास करें तो इस असंभव को भी संभव किया जा सकता है।मनुष्य महान है शक्ति का पुंज है सब कुछ कर सकता है। लेकिन सोया है, भुला है, परेशान है उसके जागते ही सब कुछ जग जाएगा।
महाराज श्री ने कहा कि असत्य, अधर्म, अन्याय व बुराई हो सकता है कि हमें कुछ समय के लिए फलते फूलते से प्रतीत हों परंतु अंत में विजय सत्य, धर्म व अच्छाई की होगी। हम सभी इन प्रतीकात्मक पर्वों से प्रेरणा व संदेश ग्रहण कर अपने जीवन को दिव्य,मर्यादित, कर्तव्यपरायण, प्रभुभक्तिमय, राष्ट्रीयता व मानवता से ओतप्रोत बनाएं। उन्होंने कहा कि आज लोगों के धर्म से विमुख होने के कारण ही मानवता की कमी भी दिखाई देने लगी है। हमें समाज को बदलने के लिए लोगों की दृष्टि बदलने की आवश्यकता है। किसी को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारना चाहिए। यह सब बातें अध्यात्म के ज्ञान के बिना संभव नहीं है। जो व्यक्ति विपत्तियों,बाधाओं व परेशानियों से लड़ने की क्षमता रखता है वही जीवन के विकास का सच्चा आनंद प्राप्त कर सकता है।
महाराज श्री के दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया, तथा सभी भक्तजन मंत्रमुग्ध व भावविभोर हो गए व ‘हरिबोल’ की धुन में झूम उठे। सारा वातावरण “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया”व “लाठी वाले भैया” की जय जयकार से गुंजायमान हो उठा। श्री हरि कृपा आश्रम में लगातार भक्तों का ताँता लगा हुआ है । महाराज श्री के दर्शनार्थ व दिव्य प्रवचन सुनने राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, बंगाल, मुंबई व देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचे। महाराज जी द्वारा गाए गए भजन को सुनकर तथा उनकी सुंदर छटा को देखकर वहां उपस्थित भक्तों की प्रेमवश अश्रुधारा बह बैठी।
24 मार्च को विश्व प्रसिद्ध फूलों की होली का आयोजन सांय 3-6 बजे तक श्री हरि कृपा आश्रम में ही किया गया है । उससे पूर्व श्री महाराज जी तीर्थराज विमल कुण्ड का दुग्धाभिषेक करेंगे ।