ओढगी के ग्रामीणों की समस्याओं को सुन रहा सचिवालय में लटकता हुआ ताला

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ओढगी के ग्रामीणों की समस्याओं को सुन रहा सचिवालय में लटकता हुआ ताला

प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। शासन की मनसा चाहे जो भी हो लेकिन सरकारी कर्मचारी अपने मनमर्जी के मुताबिक कार्य करते हैं। इसका सीधा उदाहरण जनपद के यमुनानगर विकास खंड शंकरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत ओढगी में बुधवार को बंद सचिवालय इस बात का तस्दीक करता है। ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए कहा कि हम लोगों के गांव का सचिवालय हमेशा बंद रहता है। ना ही कोई जिम्मेदार इसको खोलने की कोई आवश्यकता ही समझता है। यहां तक कि ग्राम प्रधान और सचिव को लगता है कि इससे कोई मतलब ही नहीं है। जिस वजह से हम लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जब भी हम लोग सचिवालय जाते हैं तो वहां ताला ही बंद मिलता है।तीसरी सरकार का पंचायत भवन सचिवालय भगवान भरोसे खुलता है और बंद होता है।जबकि सचिवालय खोलने का और बंद करने का एक निश्चित समय होता है।परंतु लाखों की लागत से बना सचिवालय शोपीस बनकर रह गया है। जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है जिससे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ओढगी का सचिवालय अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है।जहां एक ओर योगी सरकार पंक्ति में खड़े आखिरी पायदान के व्यक्ति को भी मूलभूत सुविधा मुहैया कराने में कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर एसी में बैठे जिम्मेदारों की मिलीभगत से प्रधान और सचिव कानून की धज्जियां उड़ाते हुए वर्तमान सरकार को बदनाम करने पर आमादा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह तो गिने-चुने नमूने हैं। और बहुत सी योजनाएं हैं जिनका पोल खोलना अभी बाकी है। साहब भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा है ग्राम पंचायत ओढगी का विकास, सचिव और प्रधान भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे हैं।इस बाबत बंद सचिवालय की जानकारी के लिए ग्राम विकास अधिकारी शशिकांत पटेल से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।जबकि विकासखंड शंकरगढ़ कार्यालय पर लिखा गया है कि सप्ताह के बुधवार को ओढगी ग्राम सचिवालय में ग्राम विकास अधिकारी मौजूद रहेंगे ताकि ग्राम विकास अधिकारी से संबंधित किसी कार्य के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करके ब्लॉक का चक्कर न लगाना पड़े।


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