शाहपुरा|जहाँ एक ओर आधुनिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य सामाजिक सरोकारों से विमुख होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मांडलगढ़ उपखंड के होड़ा गांव का एक श्वान (कुत्ता) अपने व्यवहार से मानवता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इस श्वान की गतिविधियाँ न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि समाज के लिए एक मौन संदेश भी देती हैं कृ संवेदनशीलता, कर्तव्यबोध और समयबद्धता का।
भीलवाड़ा जिले के होड़ा गांव में वर्षों से एक ऐसा श्वान निवास कर रहा है, जिसकी संवेदनशीलता और सामाजिक व्यवहार से ग्रामीणजन अभिभूत हैं। गांव में जब भी किसी व्यक्ति का निधन होता है, यह श्वान स्वतः ही उस व्यक्ति के घर पहुंच जाता है। न केवल वह वहां बैठता है, बल्कि अंतिम यात्रा में शामिल होकर शव के साथ लगभग चार किलोमीटर दूर त्रिवेणी संगम स्थित मोक्षधाम तक जाता है।
अंतिम संस्कार में भी निभाता सहभागिता
समाजसेवी अमित कुमार जोशी के अनुसार, यह श्वान अंतिम संस्कार के पूरे कार्यक्रम में सम्मिलित होता है। वह त्रिवेणी नदी में स्नान करता है, वहीं बैठकर पूरे संस्कार की प्रक्रिया को शांतिपूर्वक देखता है और फिर ग्रामीणों के साथ वापस होड़ा गांव लौट आता है। यह अद्भुत श्वान मानो समय का पाबंद है कृ चाहे वह कहीं भी हो, मृत्यु की सूचना मिलते ही समय पर संबंधित परिवार के घर पहुंच जाता है।
मानवता को देता प्रेरणा
मानव जीवन के लिए यह दृश्य जितना आश्चर्यजनक है, उतना ही प्रेरणादायक भी। ईश्वर ने मनुष्य को विवेक और चेतना दी है, लेकिन एक पशु के इस स्तर की संवेदनशीलता और अनुशासन कई बार मनुष्य की उदासीनता पर सवाल खड़ा कर देती है। यह श्वान वर्षों से समाज के प्रति जो आचरण कर रहा है, वह निःस्वार्थ सेवा और संवेदना का परिचायक है।
तीए पर भी निभाई उपस्थिति
मंगलवार को पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त मोतीलाल तिवाड़ी की धर्मपत्नी लहरु बाई तिवाड़ी के निधन पर भी यह श्वान हमेशा की तरह समय पर उनके घर पहुंचा और अंतिम यात्रा में शामिल हुआ। यही नहीं, गुरुवार को जब तृतीय (तीए) का कार्यक्रम आयोजित हुआ, तब भी यह श्वान घर पहुंचा और तख्ते के समीप बैठकर मानो अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
चारभुजानाथ मंदिर में बैठता है ध्यान
निधन वाले व्यक्ति के घर लौटने के बाद यह श्वान गांव के प्रसिद्ध चारभुजानाथ मंदिर पहुंचता है और वहां बैठकर कुछ समय व्यतीत करता है। ग्रामीणों का मानना है कि यह श्वान किसी पूर्व जन्म के संबंध या आत्मिक लगाव से प्रेरित होकर ऐसी गतिविधियाँ करता है।
समाज में बना चर्चा का विषय
इस श्वान की संवेदनशीलता व समयबद्धता को देखकर ग्रामीणों में यह हमेशा चर्चा का विषय रहता है। कई लोग इसे ईश्वर की विशेष प्रेरणा मानते हैं। आज जब मनुष्य खुद अपने रिश्तों और सामाजिक कर्तव्यों से दूर हो रहा है, ऐसे में यह श्वान मानवता और करुणा का जीवंत संदेश दे रहा है।