धर्म की रक्षा करने का नाम है रक्षा बंधन-आर्यिका सुयशमति माताजी

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बडोदिया में उपसर्ग हर रक्षा बंधन विधान का आयोजन

कुशलगढ|बडोदिया मे पुज्य आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या आर्यिका सुयशमति माताजी ने कहा कि धर्म की रक्षा करना,श्रमण रक्षा करना, भाई बंधु की रक्षा करने का नाम है रक्षा बंधन । उन्होंने यह विचार श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय उपसर्ग हर रक्षा बंधन विधान में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्हों ने कहा कि साधु संतो की रक्षा करना हमारा धर्म है और एक दुसरे भाई बंधु को रक्षा सुत्र बांधकर उनकी रक्षा में सहयोग करना भी एक बंधन है । आर्यिका उदितमति माताजी ने कहा कि देव शास्त्र व गुरू के प्रति श्रद्धान रखते हुए उनकी रक्षा करना प्रत्येक श्रावक का कर्तव्य होना चाहीए । आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि जब तक श्रावक और श्रमण है धर्म की ध्वजा हमेशा लहराती रहेगी । श्रावक और श्रमण एक गाडी के दो पहिये है जिसके माध्यम से धर्म की पताका जन जन तक फहराती है । उन्होंने कहा कि श्रमण अपने ज्ञान के माध्यम से जगत को धर्ममय बना रहा है तो श्रावक का यह कर्तव्य होना चाहिए कि श्रमण के पिछे चलते हुए उनकी रक्षा कर धर्म को सुरक्षित रखे ।
उपसर्ग हर विधान-चातुर्मास समिति अध्यक्ष केसरीमल खोडणिया ने बताया कि आर्यिका संघ के सानिध्य व मीना दीदी के निर्देशन में आयोजित उपसर्ग हर रक्षा बंधन विधान में मुख्य कलश सोनु जैन धर्म पत्नी अनुप जैन ने तथा साधना दोसी,शारदा देवी चौखलिया,रीना तलाटी, शीतल खोडणिया ने चार आराधना कलश स्थापित किए । विधान के मांडने में पिच्छी व कंमडल रखने का सोभाग्य कमलेश दोसी, महेश दोसी परिवार को प्राप्त हुआ । यज्ञ नायक मितेश जैन व नुतन जैन ने विधान में अर्घ्य चढाए । पहले दिन विधान में कुल 200 अर्घ्य तथा दुसरे दिन 300 अर्घ्य चढाए कुल 500 अर्घ्य चढ़ाते गए । संचालन आशिष भैया तलाटी ने किया ।


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