मैं का विलोपन कर अहम का मर्दन ही वास्तविक क्षमा धर्म है

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 शान्तिनाथ मन्दिर समिति कामां द्वारा सामूहिक क्षमापना पर्व व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ आयोजित

कामां। मैं का विलोपन कर अहम का मर्दन करना ही वास्तविक क्षमा धर्म है यदि किसी से मिलो तो पूर्वाग्रहों से ग्रसित मन से नही अपितु खाली मन से मिलो तभी क्षमा धर्म धारण किया जा सकता,क्षमा का साधारण भाव मन की कटुता,कलुषता,कठोरता,ईष्र्या,जलन,नफरत का त्याग कर विनम्रता व सरलता धारण करना है। उक्त विचार कामां के शान्तिनाथ दिगम्बर जैन खंडेलवाल पंचायती मंदिर दिवान के विजयमती स्वाध्याय भवन में आयोजित सामूहिक क्षमापना पर्व पर वक्ताओं ने व्यक्त किए।
मन्दिर समिति के कार्यालय अध्यक्ष उत्तम जैन व कोषाध्यक्ष प्रदीप जैन ने बताया कि क्षमापना पर्व का शुभारंभ धर्मचंद शुभम दर्शील जैन परिवार द्वारा मां विजयमती माताजी का चित्र अनावरण व जम्बुकुमार राजकुमार विवेक जैन बड़जात्या परिवार द्वार दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। वही दृष्टि जैन बड़जात्या ने हम सब जैन हैं भजन पर मंगलाचरण भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में संजना जैन बड़जात्या मनीषा जैन सर्राफ,मिनी,सीमा, दीपा प्रिया महिला ग्रुप ने मन्दिर में श्रृंगार भला किसलिये भजन पर मनोरम प्रस्तुति देते हुए सभी को सन्देश दिया। रात्रि तक चले कार्यक्रम में सुधा जैन,अंशु,रचना,अंजली,नीरू,विशाखा ग्रुप ने दशलक्षण पर्व,अंशु जैन ,तनवी,दीप्ति,अनिता,अंजली ग्रुप ने उड़ी उड़ी रे धर्म की पतंग एवं गुंजन जैन,सलोनी, दीपा,नेहा,अन्नू,सोनम ग्रुप ने माता के सोलह सपने पर शानदार प्रस्तुति देते हुए समा बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मन्दिर समिति के महामंत्री संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि ईष्र्या के दीप में कब तक तेल डालोगे,आगे बढ़ो और क्षमा का दीप जलाओ तो वही इंजीनियर भारत जैन ने क्षमा वीरष्य भूषणम कविता सुना श्रोताओं की तालियां बटोरी। कार्यक्रम में सांची जैन,चेष्टा जैन परी,प्रेक्षा लवी करीना जैन ,छवि जैन ने भी मनोरम प्रस्तुतियां देकर चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम के दौरान संजय जैन सर्राफ,रिंकू जैन बडजात्या, अनिल जैन अगोनिया ने क्षमा धर्म पर विचार व्यक्त किये। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को रमेश चन्द्र शिखर जैन चन्द्रकुमार जैन बड़जात्या परिवार द्वारा पुरुस्कार भी वितरित किये गए। कार्यक्रम पश्चयात बड़ी संख्या में उपस्थित महिला,पुरुषों,बच्चों ने एक दूसरे के पांव छूकर,गले लगकर व जय जिनेंद्र बोलकर क्षमा याचना की तो माहौल बड़ा खुशनुमा हो गया।


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