सप्तऋषियों ने भगवान शिव के ज्ञान का प्रचार प्रसार पृथ्वी पर किया था जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई – पाराशर

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डीग|शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर आयोजित हो रही शिव महापुराण की कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य पंडित मुरारी लाल पाराशर ने गणेश जी और स्वामी कार्तिकेय की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि गणेश जी व कार्तिकेय में झगड़ा हो गया कि सबसे पहले शादी मेरी होगी।इस विवाद को लेकर दोनों भाई अपने माता पिता शंकर और पार्वती के पास पहुंचे तब भगवान शंकर और पार्वती ने दोनों भाईयों से कहा जो इस प्रथ्वी की परिक्रमा सबसे पहले कर के आयेगा उसकी शादी पहले होगी।इस वचनों को सुनकर स्वामी कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर चले गये।और गणेश जी ने विचार किया कि अब मैं क्या करु मेरा वाहन तो चूहा है।यह मेरा भार कैसे सहन करेगा। गणेश जी तो बुद्धि के सबसे बड़े देवता हैं।उन्होंने अपने माता पिता की परिक्रमा कर राम नाम लिख दिया।भगवान शंकर व पार्वती समझ गये कि यह बुध्दि का प्रधान है।इनका ही विवाह पहले किया जाये।और गणेश जी का विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ हो गया। इनके दो पुत्र हुए शुभ और लाभ ।

पाराशर ने कहा कि भगवान शिव के प्रारम्भिक शिष्य सप्तऋषि माने जाते हैं। मान्यता है कि सप्तऋषियों ने भगवान शिव के ज्ञान का प्रचार प्रसार पृथ्वी पर किया था जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। मान्यता है कि भगवान शिव ने ही गुरु शिष्य की परंपरा का आरंभ किया था। शिव के शिष्यों में बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेंद्र, प्राचेतस मनु, भारद्वाज शामिल थे।
इस अवसर पर बाबा शिवराम दास जी महाराज,कृष्णा बाबा,रामकिशन गोयल, राधेश्याम तमोलिया,शिवचरन भूड़ा दरवाजा वाले,हरिओम पाराशर,मुकुट नसवरिया,मालती देवी,गीता तमोलिया, पुष्पा झालानी,आशा सेठी,ममता बंसल,सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।


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