लोक अदालत की भावना होने लगी है फलीभूत

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पति पत्नी के मध्य 6 साल पुराने विवाद में राजीनामा के बाद पत्नी पति के साथ गई

केकड़ी|विधिक सेवा प्राधिकरण के आव्हान पर शनिवार 9 सितंबर को आयोजित होने वाली लोक अदालत में जहां ताल्लुका विधिक सेवा समिति से जुड़े न्यायिक अधिकारी,कर्मचारी व अधिवक्तागण राजीनामा के आधार पर प्रकरणों का निस्तारण करने के प्रयास में लगे हुए हैं वहीं सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया पर लगातार मिल रहे अपडेट्स के बाद पक्षकार भी अपने मामले का निस्तारण लोक अदालत के माध्यम से करने में रुचि लेने लगे हैं।इस संबंध में आज एडवोकेट डॉ.मनोज आहूजा ने बताया कि उनके पक्षकार बाबूलाल ने उनकी पुत्री बीना की तरफ से उसके पति अनिल के खिलाफ मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना सहित भरण पोषण के खर्चे व घरेलु हिंसा अधिनियम का परिवाद पेश कर रखा था।जो मामला वर्ष 2017 से न्यायालय में विचाराधीन था तथा न्यायालय द्वारा भरण पोषण की राशि का वसूली वारंट भी जारी कर रखा था।जिसमें विगत दिनों आरोपी पति को उनके अधिवक्ता द्वारा राजीनामा करने की सलाह देते हुए समझाईश की गई थी जिस पर आरोपी अनिल ने परिवादी पक्ष से संपर्क कर अपने मामले में राजीनामा करने की इच्छा जाहिर की इस पर बुधवार को परिवादिया बीना उसके भाई व पिताजी उपस्थित हुए तथा आरोपी अनिल के परिजन भी उपस्थित हुए जिस पर अधिवक्ता डॉ. मनोज आहूजा व एडवोकेट सांवर लाल चौधरी ने दोनों पक्षकारों के साथ कॉउंसलिंग करते हुए राजीनामा के आधार पर प्रकरण का निस्तारण करवाने के फायदे सहित सौहार्दपूर्ण वातावरण से रहने के फायदे बताये। अधिवक्ता मनोज आहूजा व सांवर लाल चौधरी ने कहा कि पारिवारिक मामलों में आपसी समझ व बड़े बुजुर्गों की सलाह महत्त्वपूर्ण होती है तथा इस प्रकार से निपटाए गए मामलों में दोनों पक्षकारों की जीत होती है।दोनों अधिवक्ता गण की समझाईश पर दोनों पक्षों ने राजीनामा करते हुए पुराने विवादों का निस्तारण करवाते हुए नए सिरे से साथ रहने का निर्णय लिया इस पर दोनों पक्षों के मध्य राजीनामा विलेख निष्पदित करवाया गया तथा न्यायालय में विचाराधीन मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखते हुए निपटाने का निर्णय लिया गया।इस प्रकार पति पत्नी के मध्य पिछले छह साल से लंबित विवाद का राजीनामा के आधार पर निस्तारण होने से लोक अदालत की सार्थकता सिद्ध हुई।


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