डीग 10 मार्च| शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर साकेतवासी बाबा राम मनोहर दास जी महाराज के द्वारा प्रारंभ की गई एवं उन्हीं के शिष्य बाबा शिवराम दास के सानिध्य में आयोजित हो रही श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान भागवताचार्य पूज्य पंडित मुरारी लाल पाराशर ने कहा कि दूसरे की पीड़ा को समझने वाला और मुसीबत में दूसरों की सहायता करने के समान कोई पुण्य नहीं है। अतः जीव को धन, प्रतिष्ठा के साथ सामाजिक कार्यों में सेवा करनी चाहिए।
पाराशर ने उद्धव चरित्र कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि उद्धव साक्षात ब्रहस्पति के शिष्य थे। मथुरा प्रवास में जब श्री कृष्ण को अपने माता-पिता तथा गोपियों के विरह दुख का स्मरण होता है तो उद्धव को नंदवक गोकुल भेजते है। गोपियों के वियोग-ताप को शांत करने का आदेश देते है। उद्धव सहर्ष कृष्ण का संदेश लेकर ब्रज जाते है और नंदिदि गोपों तथा गोपियों को प्रसन्न करते हैं और श्री कृष्ण जी के प्रति गोपियों के कांता भाव के अनन्य अनुराग को प्रत्यक्ष देखकर उद्धव अत्यंत प्रभावित होते है। वे श्री कृष्ण का यह संदेश सुनाते हैं कि तुम्हे मेरा वियोग कभी नहीं हो सकता, क्योंकि मैं आत्मरूप हूं।
सदैव मेरे ध्यान में लीन रहो। तुम सब वासनाओं से शून्य शुद्ध मन से मुझ में अनुरक्त रहकर मेरा ध्यान करने में शीघ्र ही मुझे प्राप्त करोगी।
पाराशर ने रुक्मणी विवाह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि
आत्मा से परमात्मा का मिलन ही रुकमिणी मंगल है। उन्होंने बताया कि रुकमिणी ने जब देव ऋषि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप और गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।रुकमिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदि नरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से करना चाहता था। रुकमिणी को जब इस बात का पता चला तो उसने एक ब्राह्मण संदेश वाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिचय संदेश भिजवाया। तब श्री कृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडिनपुर पहुंचे और रुकमिणी का हरण कर द्वारिकापुरी की ओर चल पड़े। दाऊ बलराम ने रूक्मी को युद्ध में परास्त किया। उसके बाद लीला पुरुषोत्तम
श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुकमिणी से विवाह किया।कथा के दौरान आओ मोरी सखियां मुझे मेहंदी लगा दो मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो भजनों पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।
इस अवसर पर भारत भूषण पाराशर,मेवाराम पटवारी,शिवहलरी मुद्गल,बंटी खण्डेलवाल,रमेश अरोड़ा,सुन्दर सरपंच,हरेष बंसल,केदार सौखिया,गोकुल झालानी,सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।