प्रयागराज।गरीबों के हित में केंद्र सरकार के द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। केंद्र सरकार ग्रामीण मजदूरों को सौ दिन की मजदूरी के लिए गारंटी देने को प्रतिबद्ध है, लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा जेसीबी मशीन व अन्य आधुनिक मशीनों द्वारा तालाबों की खुदाई करवा रहे हैं। इसी के चलते मजदूर तबके के लोग शहरों की तरफ पलायन करने पर मजबूर हो गए हैं जो जिम्मेदारों द्वारा सरकार की मंशा को खुली चुनौती दे रहे हैं।जनपद के तमाम ग्राम पंचायतों में गरीबों के हित में चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा को जिम्मेदारों ने भ्रष्टाचार का अड्डा बना लिया है। सरकार गरीब मजदूरों को कम से कम सौ दिन के लिए रोजगार की गारंटी को प्रतिबद्ध है। मनरेगा कार्य दिवस देकर सरकार ग्रामीण मजदूरों को गांव में रहकर आमदनी देते हुए पलायन से रोकना है। तालाबों की खुदाई, चकमार्ग व नाली के खुदाई, खेतों के समतलीकरण आदि में ग्राम प्रधान मजदूरों से कार्य न कराकर जेसीबी से कार्य करवा रहे हैं।कई ग्राम सभाओं में इसकी शिकायत भी ग्रामीणों द्वारा की गई किन्तु विभागीय संलिप्तता के चलते मामला रफा – दफा कर दिया जाता है। तमाम ग्राम पंचायतों का आलम यह है कि यहां चोर – चोर मौसेरे भाई की कहावत सटीक चरितार्थ हो रही है। सरकार की मंशा के विपरीत गरीब मजदूरों के हक को हड़पकर जिम्मेदार लोग सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। यदि जिले के जिम्मेदार मनरेगा कार्यों को शासन के मंशानुरूप मनरेगा मजदूरों से कार्य करवाने का संकल्प ले लें तो ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों हजार मजदूरों को अन्य शहरों में रोजी रोटी के लिए पलायन करना रुक सकता है।