पशुधन आयात-निर्यात बिल का ड्राफ्ट वापस लेने पर केन्द्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व आभार प्रकट किया
बामनवास | केन्द्रीय मत्स्यपालन,पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा लाए जाने वाले जीवित पशुधन व पशुधन उत्पाद आयात-निर्यात प्रस्तावित विधेयक 2023 को देशव्यापी विरोध के देखते हुए इसे वापस ले लिया गया है। सरकार ने अपने ज्ञापन में कहा कि पशुधन आयात अधिनियम 1898 में बना हुआ था,जो स्वतंत्रता और संविधान से पूर्व का है। साथ ही पशु कल्याण और जनभावनाओं को भी ध्यान में रखते हुए इसे वापस ले लिया है।
इस अवसर पर श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि यह अहिंसा की जीत और मूक प्रजा के अधिकारों का सम्मान है। सरकार को हिंसा के विस्तार की बजाय,हिंसा के अल्पीकरण के लिए कानून बनाने चाहिये। सरकार को उसकी मांस निर्यात नीति की भी समीक्षा करनी चाहिये क्योंकि मांस निर्यात से भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था के स्थायी हित में नहीं है।
अहिंसा विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप धींग ने संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह अच्छा है कि प्रस्तावित विधेयक वापस लेने से हिंसा और क्रूरता का एक नया विचार साकार नहीं हो सका।
अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस राजस्थान प्रांत के अध्यक्ष निर्मल पोखरना और राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के संरक्षक अशोक बांठिया तथा अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन अनेक संगठनों ने इस निर्णय को अहिंसा प्रेमियों की जीत बताते हुए स्वागत किया और बताया कि जियो और जीने दो और जीव दया करो का सन्देश देने वाले 24 वे जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550 वर्ष पूर्ण होने पर 2023 में समस्त भारत में महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है l ऐसे में पशु हत्यारा विधेयक वापसी होना वीर प्रभु का मूक प्राणियों को आशीर्वाद है l
इस अवसर पर जीवदया प्रेमियों व श्रमणों और अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मत्स्यपालन,पशुपालन और डेयरी कैबिनेट मंत्री परशोत्तम रूपाला, राज्यमंत्री डॉ.संजीव कुमार बालियान व डॉ.एल.मुरूगन,सचिव शिष्या अलका उपाध्याय,संयुक्त सचिव जी.एन.सिंह तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय कैबिनेट मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी,राज्यमंत्री जॉन बर्ला,राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेन्द्र कुमार जैन, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा व सदस्य धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे का आभार व्यक्त किया l