पीड़ित ने लगाया आरोप तहसील प्रशासन बारा से नहीं है न्याय की उम्मीद-राम प्रसाद मिश्रा


प्रयागराज।राजदेव द्विवेदी। जनपद के यमुनानगर बारा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत पीड़ित राम प्रसाद पुत्र स्वर्गीय सूरज दीन निवासी बसहरा तरहार मौजा चिल्ला गौहानी परगना व तहसील बारा जिला प्रयागराज की आराजी संख्या 258 व 259 का संक्रमणीय भूमिधर काविज दाखिल काश्तकार है। चौहद्दी के काश्तकारों ने मेड़ तोड़कर शिकस्त कर दिया जिसकी याचना किया कि पैमाइश कराकर मौके पर पत्थर नसब करा दिया जाए। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय उप जिलाधिकारी बारा ने 14 दिसंबर 2024 को गाटा संख्या 258 रकवा स्थित ग्राम चिल्ला गौहानी परगना व तहसील बारा जनपद प्रयागराज का पत्थर नसब हेतु आदेश पारित किया गया। आदेशानुसार अनुपालन में पत्थर नसब वादी एवं प्रतिवादी गणों एवं गांव के अन्य संभ्रांत व्यक्तियों व पुलिस बल की उपस्थिति में 28 दिसंबर 2024 को किया गया। मौके पर उभय पक्षों को निर्देशित किया गया कि न्यायालय के अंतिम आदेश के अनुपालन होने तक मौके पर यथा स्थिति एवं शांति व्यवस्था बनाए रखा जाए। यदि किसी पक्ष को सीमांकन से आपत्ति है तो वह नियमानुसार न्यायालय में अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। पीड़ित ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2 जनवरी 2025 को उप जिलाधिकारी बारा जय जीत कौर ने लिखित आदेश व बिना सूचना दिए जो पत्थर नसब के समय पिलर गाड़े गए थे मौके पर पहुंचकर उसे तोड़वा दिया गया। जबकि गाटा संख्या 259 का वर्षों पूर्व चक रोड निकालकर पैमाइश की गई थी और पत्थर नसब हो चुका था। वही गाटा संख्या 258 का बीते 28 दिसंबर 2024 को पत्थर नसब किया गया था। आगे पीड़ित ने कहा कि जब परगनाधिकारी बारा से जानकारी चाही कि आपके द्वारा आदेश का अनुपालन हुआ फिर बिना आपत्ति दाखिल किये पिलर क्यों तोड़ दिया गया।मगर उप जिलाधिकारी बारा के द्वारा किसी भी प्रकार की संतोष जनक जानकारी नहीं मुहैया कराई गई। पीड़ित परिवार का कहना है कि वह न्याय की उम्मीद में लगातार गुहार लगाते रहे मगर अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता और कार्य शैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। प्रशासन विपक्षियों के दबाव में काम कर रहा है और मेरी मदद करने को तैयार नहीं है। पीड़ित ने मीडिया के माध्यम से अपने दर्द को बयां करते हुए मांग की है कि जमीन की जो पैमाइश और पत्थर नसब हुई थी उसे बहाल करवाया जाए। आगे पीड़ित ने कहा कि एसडीएम ने अपने ही आदेश की अवमानना करते हुए प्रशासन और कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दी हैं। क्या प्रशासन विपक्षियों के खिलाफ कार्यवाही करेगा और पीड़ित को न्याय मिलेगा या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। पीड़ित ने अपनी आखिरी उम्मीद एसडीएम कार्यालय से जोड़ी है। अब देखना होगा कि इस मामले पर क्या कार्यवाही होती है। इस बाबत जब मीडिया टीम द्वारा उप जिलाधिकारी बारा से दूरभाष पर जानकारी ली गई तो बताया गया कि माफ कीजिए इस विषय पर फोन द्वारा पूरी जानकारी दे पाना असंभव है अगले दिन कार्यालय पर मुलाकात करके जानकारी लीजिए।


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