जैन शब्द जातिवाचक नहीं गुणवाचक

Support us By Sharing

बामनवास |आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज की तृतीय पट्टाचार्य आचार्य धर्मसागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका 105 श्री श्रुतमति और श्री सुबोधमति माताजी का सुबह पिपलाई तहसील बामनवास में हुआ मंगल प्रवेश जिसका सुनील जैन चैनपुरा दिगम्बर जैन समुदाय ने स्वागत किया |
इस अवसर पर दिनेश चवरियां ने बताया कि आर्यिका 105 श्री श्रुतमति और श्री सुबोधमति माताजी को दीक्षा लिए लगभग 51 वर्ष हो चुके है इनके पिताजी भी श्रमण हुए है ये निवाई नगर से श्री शान्तिवीर नगर श्री महावीरजी पहुंचेगी इस वर्ष माताजी का चातुर्मास श्रीमहावीरजी में होगा |सुनील जैन चैनपुरा ने बताया कि आर्यिका 105 श्री श्रुतमति और श्री सुबोधमति माताजी की आहार व्यवस्था पिपलाई में मुखराम गुर्जर के यहां एवं प्रवास की व्यवस्था सीतोड में अजय गुर्जर के यहां की गई l इस व्यवस्था के लिए पिपलाई के जैन समुदाय ने गुर्जर समुदाय का आभार प्रकट किया |आर्यिका 105 श्री श्रुतमति माता जी ने बताया कि पुराने समय में आज की भांति जाति प्रथा नहीं थी आचरण से ही व्यक्ति की पहचान होती थी l उन्होंने ने बताया कि जैन इट इच ए नॉट ए कॉस्ट बट इट इच ए मेन्टेलिटि l जैन जाति नहीं यह मनोवृत्ति का नाम है l जैन शब्द जातिवाचक नहीं गुणवाचक है |इस अवसर पर अशोक भांजा,उर्मिला भांजा,त्रिलोक रजवास,संजय जैन श्रीमहावीर जी,सुरेन्द्र जैन शान्ति नगर,विमल एवं भाग्यवती पहाड़ी , नेमी सीरस,चंद्रेश जैन शिवाड़,संगीता एवं शोभा जैन,सलोचना जैन नल वाले,मधु चैनपुरा,बृजेन्द्र जैन,विनोद जैन,सुनील जैन,जिनेन्द्र जैन,रजनी जैन,आशा जैन,आशीष जैन,सुमनलता जैन,एकता जैन,अभिनन्दन जैन आदि कई श्रावक – श्राविकाएं उपस्थित थे |


Support us By Sharing
error: Content is protected !!