नवरात्रि के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग स्वरूपों की पूजा को कहते हैं नवदुर्गा
प्रयागराज। ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। नवरात्रि एक हिंदू पर्व है नवरात्रि संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें।यह पर्व साल में चार बार आता है शारदीय नवरात्रि, चैत्रीय नवरात्रि जो प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है जिसका आयोजन पूरे देश में व्यापक स्तर पर होता है वहींं माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के नौं रातों में तीन हिंदू देवियों -पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। मां दुर्गा को भोग लगाते हुए नौ देवियां है प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी तृतीय चंद्रघंटा चतुर्थ कूष्मांडा देवी पंचम स्कंद माता षस्ठम कात्यायनी सप्तम कालरात्रि अष्टम महागौरी और नवम सिद्धिदात्री माता के नाम से जानी जाती हैं। शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी ने इस शारदीय नवरात्र पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तब से असत्य अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदि शक्ति के हर रूप की नवरात्रि के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। मां दुर्गा की नवमी शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है यह सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली है इनका वाहन सिंह और कमल पुष्प पर ही आसीन होती है। नवरात्रि के नौवे दिन इनकी उपासना की जाती है नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली महाविधाएं अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी है। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम- निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य ,गंधर्व इनकी कृपा प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।