क्षमावाणी पर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित कर सम्पूर्ण देश में मनाने की आवश्कता
बामनवास l भारत की प्राचीन श्रमण संस्कृति की अत्यन्त महत्तवपूर्ण ‘जिन’ परम्परा में क्षमा को पर्व के रूप में प्रचलित किया है l जैनों के प्रमुखतम पर्वों में क्षमावाणी पर्व आता है l विश्व के इतिहास में यह पहला पर्व है जिसमें शुभकामना,बधाई,उपहार न देकर सभी जीवों से अपने द्वारा जाने-अनजाने में किए गए समस्त अपराधों के लिए क्षमायाचना करते है l क्षमा करने और क्षमा मांगने के लिए विशाल ह्रदय की आवश्यकता होती है l तीर्थंकरों ने सम्पूर्ण विश्व में शान्ति की स्थापना के लिए सूत्र दिया है
” खम्मामि सव्यजीवाण ,सव्वे जीवा खमंतु मे l
मित्ती मे सव्यभूदेसु,वैरं मज्झं ण केणावि l
अर्थात मै सभी जीवों को क्षमा करता हूं l सभी जीव मुझे भी क्षमा करे l मेरी सभी जीवों से मैत्री है l किसी के साथ मेरा कोई वैर भाव नहीं है l
इस दिन जैन मन्दिरों श्री जिनेन्द्र पूजन एवं क्षमावाणी पूजन से महोत्सव का शुभारंभ कर शांति पाठ पढ़कर विश्व शांति की मंगल कामना की जाती है l
बामनवास ब्लॉक के सभी दिगम्बर जैन मन्दिरों सुबह क्षमावाणी पर्व की पूजा,अर्चना और भगवान का अभिषेक व शांतिधारा करने के बाद शाम को कलशाभिषेक किए गए। इस दौरान जयकारों से जिनालय गूंज उठे। पुरुषों ने सफेद एवं महिलाओं ने पीले वस्त्र पहने। रात को जैन समाज की ओर से क्षमावाणी पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। जिसमे सभी श्रावक-श्राविकाओ ने एक-दूसरे से सालभर में हुई गलतियों की माफी मांगी l
श्री दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में दशलक्षण पर्व के बाद क्षमा वाणी कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर युवा महिला मंडल की प्रतिनिधि एकता जैन ने बताया कि दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में क्षमावाणी महापर्व पर विशेष पूजा अर्चना करते हुए विभिन्न अर्घ चढ़ाए गए शाम को भगवान जिनेन्द्र की माला की खुली बोली लगाई गई।
दिगम्बर जैन मन्दिर के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि हमारे वैचारिक,सामाजिक,राष्ट्रीय एवं वैयक्तिक समस्याओं के समाधान के लिए लिए क्षमा गुण अद्भुत गुण है जिससे मन स्वच्छ बनकर समाज में भाईचारा स्थापित हो सकता है l क्षमा एवं मैत्री सन्देश से आपसी कलह एवं युद्धों से होने वाली क्षति को रोका जा सकता है l क्षमा के अवलंबन से न्यायालयों की भीड़ कम हो सकती है l तेजी से बढ़ रही अनिद्रा एवं रक्तचाप जैसी असाध्य बीमारियों को रोकना क्षमा द्वारा सहज संभव है l टूटते हुए संयुक्त परिवारों को क्षमा के सहारे बिखरने से बचाया जा सकता है l मानव जीवन के बीच आज जो अविश्वास का संकट उपस्थित है उससे मुक्ति का मार्ग भी क्षमा ही है l क्षमावाणी पर्व पर अपने अंदर ऐसी विशाल विचारधारा को लाएं जिससे हम भारत में प्रेम,भाईचारे और सद्भावना का बीजारोपण कर सकें l वर्तमान परिपेक्ष्य में क्षमावाणी पर्व को राष्ट्रीय पर्व घोषित कर सम्पूर्ण देश में मानने की महती आवश्कता है l
इस अवसर पर रमेश चन्द जैन,विनोद जैन,सुनील जैन,मुकेश जैन,जिनेन्द्र जैन आशु जैन,सुमनलता जैन,राजुल जैन,रजनी जैन,आशा जैन एकता जैन, सपना जैन,अभिनन्दन जैन आदि कई श्रावक -श्राविकाएं उपस्थित थे l