दुनियां में गुरु के मुकाबले कोई नहीं है-पंकज महाराज
जिला भीलवाड़ा अन्तर्गत जयगुरुदेव सत्संग समारोह का क्रम निरन्तर जारी है। जिसके अन्तर्गत जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज लोगों में प्रभु की भक्ति की प्रेरणा देने तथा शाकाहारी, सदाचारी बनने के साथ मद्यनिषेध पर जोर दे रहे हैं कि जिसका लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आज तहसील सुवाणा के गांव में तेजाजी चौक, बस स्टैण्ड दांथल में महाराज जी के पधारने पर उनका स्थानीय लोगों ने भावभीना स्वागत किया। संभ्रान्तजनों ने उनको पुष्पहार भेंटकर स्वागत किया। अपने सम्बोधन में संस्था प्रमुख ने कहा कि मनुश्य चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेश्ठ है क्योंकि इसमें प्रभु के पास जाने रास्ता है। आत्मा-परमात्मा का गूढ़ विज्ञान भौतिक ज्ञान की चोटी से प्रारम्भ होता है। प्रभु ने अति दया करके कलयुग में संतों को धरा पर भेजा। उन्होंने आकर यह भेद खोला कि सारी आत्मायें आसमानी आवाज, देववाणी पर उतार कर लाई गईं जिसे सुनने का दिव्य कान आत्मा में है तथा देवी-देवताओं, ब्रह्माण्डों को देखने के लिये दिव्य नेत्र, षिव नेत्र है। सबसे पहले सन्त कबीर दास जी, रबिदास जी, गुरु नानक जी, गोस्वामी जी महाराज, यारी साहब, जगजीवन साहब, पल्टू साहब, चरण दास, मीराबाई, सहजो बाई, दादू दयाल आदि आये और सुरत-षब्द योग (नाम-योग) की साधना कराकर बहुत से जीवों को भवपार किया। वर्तमान में हमारे गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी ने परत दर परत खोल इस साधना में अपनी षक्ति का सहारा देकर बीसों करोड़ लोगों को भगवान की भक्ति में लगाया। ‘’गुरु मेरे पूरन पुरुश विधाता। उन चरनन पर मन मेरा राता।।’’ पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि इस दुनियां में गुरु के मुकाबले कोई नहीं है। सन्त महात्माओं की हस्ती और षक्ति का वर्णन नहीं किया जा सकता है। गुरु के मिलने के पहले जितने भी देवी-देवता, ईष्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म, सतपुरुश, अलख, अगम और अनामी के होते हुये हम करोड़ो युगों तक भवसागर में भटकते रहे। जब वे मिल गये तो उन्होंने सबके पद को दर्षाया और सभी का दर्षन कराया। जिसने सभी का दर्षन कराया मैं केवल उन्हीं का गुणगान करता हूं। अन्य सभी का आदर सत्कार करता हूँ। लेकिन जो प्रेम मेरा अपने गुरु के प्रति है वह और किसी के प्रति नहीं है। राजा गोपीचन्द जैसे भक्त का इतिहास बताता है कि गुरु भक्ति में उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। लेकिन हम लोगों में से अधिकांष लोग दुनियां की चीजों को मांगते हैं। गुरु तो रूहानी खजाना देना चाहते हैं जिसको प्राप्त कर लेने के बाद दुनियां की दौलत प्राप्त करने की इच्छा खत्म हो जाती है।
उन्होंने आगे कहा आज मनुश्य विशय-विकारों, षराबों, कबाबों में बहुत अधिक फंस गया है। लोगों की आंखों से मां, बहन, बेटी, बहू की पहचान चली गई है। लोग पषुवत व्यवहार करने लगे हैं। दुनियां के लोग इतना अधिक तरक्की कर लिये हैं फिर भी परेषान और दुखी हैं, जिसका कारण अषुद्ध खान-पान है। जिसका परिणाम दुखदाई होगा। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने अच्छे समाज के निर्माण के लिये लोगों सेे षाकाहार-सदाचार अपनाने और षराब जैसे बुद्धिनाषक पदार्थों को छोड़ने की अपील किया। हम लोग अपने गुरु के चिराग हैं। सभी लोग षाकाहार-सदाचार, मद्यनिशेध का प्रचार करें इससे पूरा गांव और समाज बदल जायेगा। महाराज जी ने कहा युवा देष के भविश्य हैं। युवाओं में अच्छी षिक्षा के साथ अच्छे संस्कार की भी जरूरत है। अच्छे संस्कार संत महात्माओं के सत्संग वचनों से पड़ते हैं। इसलिये सत्संग में अपने बच्चों को अवष्य लायें। यदि केवल भौतिक षिक्षा से संस्कार पड़ गये होते तो आज भारत जैसे देष में इतने अधिक वृद्धा आश्रम न बने होते।
आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक आगरा-दिल्ली बाई पास स्थित जयगुरुदेव मंदिर मथुरा में पूज्यपाद स्वामी घूरेलाल जी महाराज ‘दादा गुरूजी’ का 75वां वार्षिक भण्डारा सत्संग मेला आयोजित है। राजस्थान संगत की आम जनता से अपील है समय निकालकर पावन पर्व पर जयगुरुदेव आश्रम मथुरा पधारें। दया, दुआ, आशीर्वाद प्राप्त करे।
इस अवसर पर राजस्थान संगत के प्रान्तीय अध्यक्ष विष्णु कुमार सोनी, उपाध्यक्ष हरिनारायण ‘भोपा जी’, शंकर लाल प्रजापत, मूलचन्द शर्मा, नारायण सिंह, लोकेन्द्र सिंह सरपंच, समरथ सिंह, कैलाश जी जाट, लातू जी आदि उपस्थित रहे। अगला सत्संग कार्यक्रम तहसील भीलवाड़ा के गांव कानोली में कल (आज) सायं 3.30 बजे से आयोजित है। जिला प्रवक्ता अनिल कुमार सोनी ने सत्संग में भाग लेने की अपील की है।