इस बार भी कैला माता को नहीं पहनाए जा सके सोने-चांदी के विशेष आभूषण

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दुर्गाष्टमी पर कैला देवी मंदिर में दर्शनों को उमड़ा आस्था का सैलाब, करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने किए माता के दर्शन

भरतपुर- 16 अप्रैल|चैत्र नवरात्रि की दुर्गाष्टमी पर मंगलवार को घरों और मंदिरों में भक्ति का माहौल रहा। देवी उपासकों ने अष्टमी पर देवी मां की विशेष पूजा अर्चना की। इधर, जिले के प्रमुख आस्थाधाम श्री कैलादेवी झील का बाड़ा में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब उमड़ता दिखाई दिया। माता के दर्शनों के लिए सुबह से ही राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली आदि राज्यों से आए श्रद्धालुओं के आने का दौर शुरू हो गया। मंदिर भवन के बाहर दिनभर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। दुर्गाष्टमी पर राजराजेश्वरी कैला माता का विशेष श्रृंगार किया गया। लेकिन इस बार भी देवस्थान विभाग की लापरवाही के चलते राजराजेश्वरी कैलामाता को उनके विशेष आभूषण सोने की गिन्नियां, बाजूबंद और जौ माला नहीं पहनाई जा सकी। जबकि पहले हर साल नवरात्र में माता रानी को उनके विशेष आभूषण पहनाकर श्रृंगार किया जाता है। ये आभूषण देवस्थान विभाग ने भरतपुर स्थित ट्रेजरी कार्यालय में रखे हुए हैं। जिन्हें तीन साल पहले तक हर साल कड़ी सुरक्षा के साथ लाया जाता था। बताया गया कि कुछ आभूषण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिसकी वजह से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नहीं पहनाया गया। लेकिन इससे श्रद्धालुओं में रोष देखने को मिला। श्रद्धालुओं का कहना है कि देवस्थान विभाग समय रहते आभूषणों की मरम्मत करा सकता था। दुर्गाष्टमी पर मंदिर में महाआरती और विशेष अनुष्ठान का आयोजन हुआ। घंटे-घड़ियालों की ध्वनि और माता रानी के जयकारों से पूरा मेला परिसर गुंजायमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर उन्हें बीड़ा, पान, बताशे, हलवा, चना और मिठाई का भोग अर्पित किया। मंदिर भवन के प्रांगण में महिला श्रद्धालुओं ने नगाड़े की धुन पर नृत्य कर मां को मनाया। श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ को देखते हुए मेले में तैनात पुलिसकर्मियों को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान डिप्टी एसपी अमर सिंह मीना और सदर एसएचओ रामदीन शर्मा ने कानून व्यवस्था का मोर्चा संभाला। मेले में मौजूद राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि मंगलवार को करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे। माता के दर्शनों के बाद महिला श्रद्धालुओं ने परंपरा का निर्वाह करते हुए मेले में सजी दुकानों पर कांच की हरी चूड़ियां पहनी और हाथों में मेहंदी भी लगवाई। मेले में बड़ी संख्या में छोटे बच्चों के मुंडन संस्कार कार्यक्रम भी हुए। अधिक भीड़ के कारण मेले में कई बच्चे अपने परिजनों से भी बिछड़ गए। जिन्हें कंट्रोल रूम पर ले जाकर पब्लिक अनाउंसमेंट के जरिए उनके परिजनों से मिलाया गया। मेले में आए श्रद्धालुओं ने रवि कुंड और काली सिल में स्नान कर और हाथ मुंह धोकर माता के दर्शन किए। मेला परिसर में कैलादेवी क्षेत्र विकास संस्थान की ओर से शीतल जल प्याऊ लगाई गई है। संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि प्याऊ पर नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं को शीतल जल के साथ रोजाना अलग-अलग फ्लेवर के शरबत भी पिलाये जाते हैं। माता के दर्शनों के बाद श्रद्धालुओं ने मेले में सजी दुकानों पर खरीदारी की। लोगों ने घरों में काम आने वाली वस्तुओं सहित बच्चों के खेल-खिलौनों की भी जमकर खरीददारी की। इसके साथ ही मेले में चाट, मिठाई, गन्ने का जूस, कुल्फी आदि का भी लुत्फ उठाया।


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