श्री कदमखंडी धाम में आयोजक दौलत सिंह के साथ भागवत कथा का रसपान कर रहे हजारों श्रद्धालु
नदबई-विधानसभा के ऐचेरा ग्राम स्थित श्री कदमखंडी धाम में आयोजित हो रही पवित्र श्रीमद् भागवत कथा को सुनने के लिए भरतपुर के दूरदराज के गांव से आमजन आ रहे हैं। आयोजक दौलत सिंह फौजदार के साथ कृष्ण भजनों पर हजारों लोग झूम रहे हैं। इस कथा से श्री कदमखंडी धाम का तीर्थ स्वरूप साकार हुआ है।
भाजपा के स्थानीय युवा नेता, समाजसेवी और नदबई में इस ऐतिहासिक कथा के आयोजक दौलत सिंह फौजदार ने बताया कि यह आयोजन नदबई ही नहीं अपितु संपूर्ण भरतपुर के इतिहास में दर्ज हो चुका है। कथा के पांचवे दिन तक एक लाख से अधिक लोग इस आयोजन का हिस्सा बन चुके हैं। आपको बता दें कि करीब एक महीने की नदबई एकता यात्रा कर दौलत सिंह फौजदार ने संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र के घर घर जाकर चावल, गंगाजल और कथा के लिए आमंत्रण पत्र हर एक व्यक्ति को दिया था; तथा सभी से सपरिवार आने का अनुनय किया था। इसी का परिणाम देखने को मिल रहा है कि महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवा सहित हर आयु वर्ग के लोग तथा नदबई क्षेत्र में हर समाज और हर वर्ग के लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।
सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में देवी चित्रलेखा ने बताया की बीते 4 दिन की कथा श्रवण करने की थी जिसे धारण करना था। परंतु अब 3 दिन की कथा को महसूस करना है देखना है और भाव क साथ मिल कर भगवान् की लीलाओं में शामिल होना है।
देवी ने सर्व प्रथम बताया कि कैसे भगवान् का दर्शन करने से सारी सृष्टि नन्दभवन की ओर प्रस्थान करने लगी।
समस्त ग्राम वासी, देवता, गंधर्व, आदि आदि भगवान् के बाल स्वरुप का दर्शन करने पधारे।
और माता यशोदा ने नंदमहल के सारे भण्डार खोल दिए नंद बाबा ने झोली भर भर बधाइयाँ लुटाई। आज सबकी इच्छा पूरी हो रही है कुबेर ने भण्डार खोल दिया है और लोग ऐसे बधाइयाँ लूटा रहे है जैसे गोविन्द ने उन्ही की घर जन्म लिया हो।
फिर भगवान् की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया के बिना भाव के भक्ति संभव नहीं । भाव होने से भगवान् खुद भक्त को समर्पित हो जाते है।
जीव को भगवान के साथ किसी किसी रिश्ते से जुड़ना पड़ता है।
चाहे भगवान् को वह अपना पिता स्वीकार करे मित्र या फिर प्रियतम।
प्रसंगों में देवीजी ने कंश मामा द्वारा भेजी गयी पूतना, सकटाशुर, वकाशुर आदि आदि राक्षसों के वध की कथा सुनाई और यमला अर्जुन नाम के दो शापित वृक्षों को भगवान् की बाल लीला द्वारा मुक्त कराने की कथा सुनाई।
आगे भगवान् की लीला में माखन चोरी का प्रसंग बताया की कैसे भगवान् ने माखन के साथ गोपियों का मन चुराया और गोपियों के चीर हरण कर के उन्हें पवित्र जल श्रोतों में न स्नान करने की शिक्षा दी।
पश्चात भगवान् की 7 वर्ष की उम्र में की गयी गोवर्धन लीला का श्रवण कराया की कैसे भगवान् ने इंद्रदेव का घमंड चूर किया और इष्ट श्रद्धा का पाठ वृजवाषियों को पढाया।
भगवान् ने गिरिराज पर्वत उठा कर इंद्र द्वारा की गयी मूशलधार बारिश से वृजवाषियों को शरण दी।
कथा के मध्य गाये गए भजनों पर भक्तो ने झूम झूम कर नृत्य किया।
और मनोहर झांकियों के द्वारा कथा का दर्शन पान कराया गया।
P. D. Sharma