शाहपुरा|भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा तहसील क्षेत्र के वन विभाग के अंतर्गत आने वाले बीड़ में सोमवार दोपहर में अचानक भीषण आग लग गई। तेज हवाओं के चलते आग ने विकराल रूप ले लिया और लगभग 4 किलोमीटर क्षेत्र में फैल गई। इस आग से हजारों पेड़-पौधे, झाड़ियां और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास को भारी नुकसान पहुंचा। इसके अलावा कई रोजड़े (वन्य जीवों के शरण स्थल) भी आग की चपेट में आ गए।
वन विभाग के दो कर्मचारी जब आग बुझाने मौके पर पहुंचे, तो वे भी आग के घेरे में फंस गए। हालांकि समय रहते उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। सूचना मिलते ही शाहपुरा विधायक डॉ. लालाराम बैरवा और नायब तहसीलदार उत्तम जांगिड़ भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार बीड़ का क्षेत्र अरनिया घोड़ा और माताजी का खेड़ा पंचायत की सरहद तक फैला हुआ है। आग की भयावहता को देखते हुए दोनों पंचायतों के ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में वन विभाग की मदद की।
गंभीर स्थिति तब बनी जब शाहपुरा की दमकल गाड़ी खराब निकली। इस कारण दमकल मंगवाने के लिए जहाजपुर और आगूंचा से मदद ली गई। लगभग डेढ़ घंटे के बाद जहाजपुर से दमकल मौके पर पहुंची और आग बुझाने का काम शुरू किया।
ग्रामीणों ने बताया कि आग इतनी तेजी से फैली कि बचाव कार्य शुरू करने तक सैकड़ों पेड़ जल चुके थे। कुछ जगहों पर लपटें इतनी तेज थीं कि लोग पास तक नहीं जा सके। वन विभाग ने आग पर नियंत्रण के लिए आसपास के क्षेत्रों में फायरलाइन बनाने और पानी के टैंकरों से आग बुझाने का प्रयास किया।
विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने बताया कि आग से हुए नुकसान का आंकलन किया जाएगा और वन क्षेत्र को फिर से सुरक्षित एवं हरा-भरा बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने वन विभाग को अलर्ट मोड में रहने और बीड़ की नियमित निगरानी के निर्देश भी दिए।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वन क्षेत्रों में आपातकालीन व्यवस्था कितनी सक्षम है। अगर समय पर दमकल नहीं पहुंचती या वनकर्मी सुरक्षित नहीं निकलते, तो यह हादसा और भी भयावह रूप ले सकता था।
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग अब आग लगने के कारणों की जांच में जुटा है। शुरुआती जानकारी के अनुसार आग की वजह अत्यधिक गर्मी और मानवीय लापरवाही हो सकती है।