ना सो सकते हैं ना बैठ सकते हैं – राजा भैया
नई दिल्ली 7 मई। जेल में बंद कैदियों के मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के वकील एवं हिन्दूस्तान शिवसेना के राष्ट्रीय प्रमुख राजेन्द्र सिंह तौमर उर्फ राजा भैया ने एक बाद फिर कैदियों के मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाते हुऐ तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को मूलभूत सुविधाऐं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा दिल्ली के उपराज्यपाल को एक शिकायत भरा पत्र लिखा है।
राजा भैया ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी की सबसे बड़ी और सबसे सुरक्षित कही जाने वाली तिहाड़ जेल की सच्चाई बताते हुऐ कहा कि यूं तो दिल्ली में दो महिला जेलों सहित कुल सोलह जेलें हैं। परन्तु कैदियों को अन्य सुविधाओ की बात तो दूर यहां की जेलों में कैदियों को सोने और बैठने तक की सुविधा के लाले पड़े हुऐ हैं। उन्होंने बताया की तिहाड़ जेल परिसर में नौ जेलें हैं जिनमे एक महिला जेल है। रोहिणी दिल्ली में एक जेल और पूर्वी दिल्ली स्थित मंडोली में महिला जेल सहित छ जेलें हैं। सभी जेलों का नियंत्रण व संचालन तिहाड़ जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा किया जाता है। उन्होने बताया कि तिहाड जेल मे क्षमता से कई गुना अधिक कैदियों को रखा गया है।
राजा भईया ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय दे चूका है कि जिन केसों में सात साल या उससे कम की सजा का प्रावधान है उन केसों में आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल ना भेजा जाए बल्कि उन्हें पुलिस बेल पर या सीआरपीसी की धारा 41ए का नोटिस दे कर थाने से ही जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। साथ ही जमानत प्रार्थना पत्रों पर सभी संबन्धित न्यायधीशों को भी उदारता दिखानी चाहिए। उन्होने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई आदेशों में तो यहां तक टिपणी कि है कि बेल एक रूल है और जेल एक अपवाद है परंतु इन आदेशों का कड़ाई से पालन नही किया जा रहा है और इसी का नतीजा है की दिल्ली की सभी जेलों में लगातार कैदियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है और जेल प्रशासन जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखने के लिए मजबूर है।
कैदियों की बढ़ती भीड़ के कारण उन्हें जेल में चिकित्सा सुविधा व अन्य जरूरी सुविधाएं नही मिल पाती यहां तक की उन्हें सोने, बैठने, नहाने धोने के साथ साथ शौचालय तक की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्ही मुद्दों को लेकर कैदी सैकड़ों बार आपस में भिड़ जाते हैं और एक दूसरे पर जान लेवा हमले तक कर देते हैं, इसी की आड़ में दबंग कैदी भी गरीब कैदियों का जम कर शोषण करते हैं ऐसे में जेल बंदी मानसिक व शारीरिक पीड़ा भी झेलते हैं और उनके संवैधानिक तथा मौलिक अधिकारों का हनन भी होता है।