बौंली- बामनवास (श्रद्धा ओम त्रिवेदी)। हिंदू धर्म में तिलकुटा चौथ के व्रत को बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया हैं। इस व्रत को माताएं मुख्य रूप से अपने पुत्र,संतान की तरक्की और लंबी उम्र के लिए रखती हैं। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ कहा जाता हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि सकट चौथ को तिलकुटा चौथ,वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता हैं। माघी संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा की जाती हैं। माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी को सुबह 4:10 मिनट पर शुरू होगी । उदयात के अनुसार 17 जनवरी शुक्रवार को तिलकुटा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि इस दिन मघा नक्षत्र और सौभाग्य योग रहेगा। भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा करने का समय सुबह 8:33 से 11:12 तक, दोपहर में 12:31 से 1:50 तक। शाम के समय 4:28 से 5:47 तक और रात्रि में चंद्रोदय के समय 9:10 से 10:50 तक हैं। शाम के समय महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इस दिन चंद्रोदय रात्रि 9:10 मिनट पर होगा ।
1996 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 1996 से दैनिक भास्कर में बौंली, बामनवास एवं सन 2000 में दैनिक भास्कर ब्यूरो चीफ गंगापुर सिटी। 2003 से पंजाब केसरी और वर्तमान में राष्ट्रदूत। अनेकों चैनल व अखबारों में कार्यरत हैं। आवाज आपकी न्यूज पोर्टल में पत्रकार हैं।