परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है – पंडित मुरारी लाल पाराशर

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परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है – पंडित मुरारी लाल पाराशर

डीग 2 मार्च – शहर के द्वारिकाधीश मंदिर में चल रही शिव महापुराण की कथा के तीसरें दिन कथा प्रवक्ता लक्ष्मण मंदिर के मंहत पंडित मुरारी लाल पाराशर ने शिव महापुराण कथा का वर्णन करते हुए कहा कि इंसान को बनावटी नहीं होना चाहिए। बनावटी भाषा रिश्तों को तोड़ती है। जीवन में दिखावा नहीं आना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। शिव महापुराण विश्व का कल्याण करने वाली है। 84 लाख योनियों में आखिरी योनी मनुष्य योनी है। ईश्वर केवल मनुष्य को ही सोचने और समझने की क्षमता देता है। मनुष्य का जन्म ईश्वर भक्ति के लिए हुआ है। शिव को पाने के लिए इंसान को गलत विचार, बुरी सोच, बुरी दृष्टि, खराब खाना पीना और ऐसा पहनावा जो अच्छा नहीं होता है उसे त्यागना होगा। सजावट, बनावट और दिखावट से दूर रहो।
पाराशर ने कहा कि बनावट की बात सनातन धर्म के लिए श्रेष्ठ नहीं है। श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए दिखावे की जिंदगी जरूरी नहीं है। शिव अपनी शादी में नंदी पर बैठकर ससुराल गए थे। शिव ने अपनी शादी में कोई दिखावा नहीं किया।
कथावाचक पाराशर ने कहा कि शिव महापुराण कहीं यह नहीं कहती राम, कृष्ण को छोड़ो। दुनिया के लोगों ने पंथ बनाकर भ्रम पैदा कर दिया है। वे कहते हैं कि शिव के मंदिर मत जाओ। शिव रौद्र रूप वाले हैं। शिव पिता हैं। यदि हमसे शिव पूजन में कोई कमी रह जाए तो वह अपने पुत्रों को माफ कर देते हैं। शिव सबके हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव किसी को श्राप नहीं देते। पार्वती उनके साथ रहती है। शिव पूजन के दौरान कमी रह भी जाए तो पार्वती उस कमी को पूरा कर देती हैं। उन्होंने कहा कि सजावट चार दिन की होती है। आंख बंद करके बैठने, चंदन का तिलक लगाने,अच्छे कपड़े पहनने, अच्छा गाने, मंदिर जाने और केवल कथा में बैठकर आने यानी दिखावे से भगवान की प्राप्ति नहीं होती है। परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है। उन्होंने कहा कि काल महाकाल का कोई समय नहीं होता है। जिस प्रकार मृत्यु आने का कोई समय नहीं होता है। इस मौके पर रामकिशन गोयल, राजरानी गुप्ता , राकेश गोयल ,वरुण गोयल सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।


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