परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है – पंडित मुरारी लाल पाराशर

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श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं संत समागम महोत्सव मे ज्वेलर्स संघ के अध्यक्ष एवं समाजसेवी निर्मल गोयल ने लिया भाग

डीग मार्च |शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर 25 जुलाई से 31 जुलाई तक आयोजित हो रही श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं संत समागम महोत्सव के चतुर्थ दिन व्यास पीठ पर विराजमान भागवताचार्य पूज्य पंडित मुरारी लाल पाराशर ने कहा कि इंसान को बनावटी नहीं होना चाहिए। बनावटी भाषा रिश्तों को तोड़ती है। जीवन में दिखावा नहीं आना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। भागवत कथा विश्व का कल्याण करने वाली है। 84 लाख योनियों में आखिरी योनी मनुष्य योनी है। ईश्वर केवल मनुष्य को ही सोचने और समझने की क्षमता देता है। मनुष्य का जन्म ईश्वर भक्ति के लिए हुआ है। भगवान को पाने के लिए इंसान को गलत विचार, बुरी सोच, बुरी दृष्टि, खराब खाना पीना और ऐसा पहनावा जो अच्छा नहीं होता है उसे त्यागना होगा। सजावट, बनावट और दिखावट से दूर रहो।
पाराशर ने कहा कि बनावट की बात सनातन धर्म के लिए श्रेष्ठ नहीं है। श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए दिखावे की जिंदगी जरूरी नहीं है। भगवान शंकर अपनी शादी में नंदी पर बैठकर ससुराल गए थे। शिव ने अपनी शादी में कोई दिखावा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सजावट चार दिन की होती है। आंख बंद करके बैठने, चंदन का तिलक लगाने,अच्छे कपड़े पहनने, अच्छा गाने, मंदिर जाने और केवल कथा में बैठकर आने यानी दिखावे से भगवान की प्राप्ति नहीं होती है। परमात्मा से प्राप्ति के लिए दिल से ईश्वर की भक्ति जरूरी है।
महोत्सव के दौरान भागवताचार्य पूज्य पाराशर ने भक्त ध्रुव,भक्त प्रह्लाद,वामन भगवान की कथा का भी वृतांत सुनाया।
इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया। जिसमे भगवान श्री कृष्ण को सूपा में बिठाकर मंदिर के चारो ओर भ्रमण कराया। व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य पाराशर ने कहा कि श्रीमद भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने और मरने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। कथा व्यास ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि जब जब धरती पर पाप अनाचार बढ़ता है, तब.तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान कथा व्यास ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में में तो नंद भवन में जाऊंगी, यशोदा जायो ललना, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए।
कथा के दौरान सभाज सेवी निर्मल गोयलज्वेलर्स संघ जयपुर के अध्यक्षआलोक सौखिया ने आरती उतारी व भागवत सप्ताह एवं संत समागम महोत्सव में भाग लिया।जहां उन्होंने भागवत कथा का श्रवण किया।
तथा मंत्री बेढ़म ने कहा कि कण कण में भगवान है ।हमारी संस्कृति और हमारे बुजुर्ग हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं।पुत्र का पिता के प्रति क्या कर्तव्य है।राजा का प्रजा के प्रति क्या कर्तव्य है ,यह सब शिक्षा हमें हमारे ग्रंथ सिखाते हैं।
इस अवसर पर धनंजय दास जी महाराज, बाबा राम खिलोनी दास जी महाराज,शिवराम दास जी महाराज,हरदेव दास जी महाराज,समाज सेवी निर्मल गोयल जयपुर, ज्वैलर्स संघ जयपुर के अध्यक्ष आलोक सौखिया,राधे श्याम गर्ग जयपुर, राजेन्द्र पाल धाऊ,
बच्चू सिंह राजपूत,सुन्दर सरपंच,परमेन्दर गुर्जर,ओम प्रकाश मुंशीलाल जुरहरा वाले, रघुवीर सौंनी,वीके खण्डेलवाल,भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार एडवोकेट,रमेश अरोड़ा,विनोद तमोलिया,सतीश तमोलिया,जुगला खण्डेलवाल सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।


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