अंगदान कर के जीवन बचाने की ली शपथ
अंगदान महादान महाअभियान हुआ शुरू
सवाई माधोपुर 3 अगस्त। देश में इंसान के कल्याण और सुख के लिए लोगों के त्याग और बलिदान के अनेक किस्से कहानियां सुनने को मिल जाती हैं। ऐसे ही समाज और लोगों के जीवन की रक्षा के लिए अपने अंगदान कर आज के समय में भी बहुत से लोग दूसरे लोगों की जिंदगियां बचा रहे हैं। फिर भी जागरूकता के अभाव में अनेक लोग ऐसे भी हैं जो अंगदान नहीं करना चाहते हैं। इसी के चलते जिले सहित राज्य में 3 अगस्त से 17 अगस्त तक अंगदान जीवनदान जागरूकता महाअभियान चलाया जा रहा है। जिसका शुभारम्भ प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मसिंह मीना ने बताया कि गुरूवार को पूरे जिले में आमजन को अंगदान जागरूकता के लिए शपथ दिलाई गयी। अभियान के दौरान सभी चिकित्सा संस्थानों, सरकारी व निजी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, पुलिस विभाग व स्वयंसेवी संस्थाओं सहित विभिन्न विभागों को इससे जोड़ा गया और शपथ दिलाई गई। यहां तक कि विभाग की टीमों द्वारा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, निर्माणाधीन भवनों पर कार्य कर रहे मज़दूरों को भी अभियान का हिस्सा बनाते हुए अंगदान की शपथ दिलाई गई।
उन्होने बताया कि एक व्यक्ति अपने शरीर के अंगों को दान करके करीब 50 लोगों को जीवन दे सकता है। भागदौड़ भरी इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो किसी बीमारी या अन्य वजह से अपने खास अंगों को खो देते हैं या उनके अंग खराब हो जाते हैं। ऐसे में समाज कल्याण और लोगों को नया जीवन देने की सोच के साथ बहुत से स्वस्थ लोग अपने जीते या मृत्यु के बाद अंगदान करके लोगों को एक नई जिंदगी देते हैं। अंगदान में शरीर के कुछ अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है, जैसे कि अंगों में यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, हृदय, फेफड़े और आंत को दान किया जाता है, जबकि ऊतकों में कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जाता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि पहला होता है जीवित अंगदान और दूसरा मृत्यु के बाद अंगदान। जीवित अंगदान में इंसान जीते शरीर के कुछ अंगों को दान कर सकते हैं, जिसमें एक गुर्दा दान में दिया जा सकता है। इसके अलावा अग्न्याशय का हिस्सा और लीवर का हिस्सा दान किया जा सकता है, क्योंकि लीवर समय के साथ फिर से विकसित हो सकता है। मृत्यु के बाद अंगदान में आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, हृदय, पैंक्रियाज और आंत का दान किया जाता है। अंगदान में सिर्फ उम्र ही नहीं, बल्कि शरीर का स्वस्थ होना भी जरूरी है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर होता है की अंगदान जीते किया जा रहा है या मृत्यु के बाद। 18 साल का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान कर सकता है, लेकिन शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए उम्र सीमा भी अलग-अलग होती है, जो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दान किए जा सकते हैं।
जिले में जिला कलक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के प्रेरणादायी वीडियो देख कर रइथा कलां निवासी 72 वर्षीय रामस्वरूप मीना ने सीएमएचओ कार्यालय आकर अपने अंगदान करने की इच्छा जाहिर की। विभाग द्वारा उनके संकल्प को पूरा करने के लिए प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। रामस्वरूप ने सभी जिले वासियों से इस पावन कार्य के लिए संकल्प लेने की अपील भी की।