आयुर्वेद और आरोग्य विषय पर विशेषज्ञों और मुनियों ने दिया उद्बोधन
उदयपुर|शहर के नवरत्न काम्प्लेक्स स्थित अरिहंत भवन में तेरापंथ प्रोफ़ेश्नल फोरम व जैन इंजीनियर्स सोसाइटी उदयपुर चैप्टर द्वारा शासनश्री मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य में आयुर्वेद और आरोग्य विषय पर मासिक संबोध कार्यशाला आयोजित की गई ।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनि संबोध कुमार मेधांश ने कहा -आयुर्वेद प्रकृति से जोड़ता है , हमारा शरीर 75% जल तत्व से भरा है बस हमे ध्यान रखना कि भोजन की मात्रा कम हो तो चलेगा मगर पानी की मात्रा कम ना हो । जो भोजन खाने में स्वाधिष्ट् लगे समझ लो कि वो सेहत के लिए नुक़सानदेह है । उन्होंने कहा- वायु को जब आगे बढ़ने की जगह नहीं मिलती तो वो नयी जगह ढूँढता है , हार्ट ब्लॉकेज इसी का परिणाम है
मुनि सिद्धप्रज्ञ ने कहा- आयुर्वेद एक बहुत व्यापक विज्ञान है।आयुर्वेद के आधार पर जीने वाला व्यक्ति स्वस्थ मस्त और आत्मस्थ जीवन ज़ी सकता है। शरीर की ९०% बीमारी का संबंध पेट की गड़बड़ी के साथ जुडा हुवा है। स्वस्थ रहने के लिये पेट का नरम, पैर का गर्म और मस्तीष्क का ठंडा रहना अत्यंत जरूरी है। आहार विवेक और श्रम और विश्राम के संतुलन से दीर्घ स्वस्थ को पाया जा सकता है।आचार्य महा प्रज्ञ ज़ी ने प्रेक्षा ध्यान योग साधना पद्धति से स्वस्थ रहने के ठोस उपाय बताये। भरपेट नास्ता करना बीमारी को निमंत्रण दिया जा रहा है। पशु की अपेक्षा मनुष्य ज्यादा बीमार होता है उसके १८ कारण है।
मुख्य अतिथि आयुर्वेदाचार्य डॉ. सोभालाल ने कहा- आयुर्वेद का एक चिकित्सा पद्धति है जिसके माध्यम से हम दीर्घायु और निरोग जीवन ज़ी सकते है। स्वस्थ रहने के लिये प्रातःकाल जूस नहीं पीना चाहिए। कारण सुबह 6 बजे तक शरीर में कफ का प्रकोप रहता है। जैन लोगो का रात को खाना नहीं खाना बहुत वैज्ञानिक और व्यवहारिक सिद्धांत है। प्रातःकाल कफ के शामन के लिये काले तिल और अलसी का विधिवत प्रयोग करना स्वास्थ के लिये रामबाण चिकित्सा है। एक बार खाता वह निरोगी दो बार खाता है भोगी और तीन बार खाने वाला रोगी होता है अंकुरित अनाज नहीं खाना चाहिए। भोजन के बाद ८० मिनिट तक पानी नहु पीना चाहिए। होटल का खाना स्वाद के लिये अच्छा हो सकता है पर स्वास्थ के लिये अच्छा नहीं है। फल और सब्ज़ी का प्रयोग मौसम के अनुसार सेवन करना चाहिए।कार्यक्रम में टी पी अध्यक्ष अरुण कोठारी ने स्वागत व आभार मंत्री राजेंद्र चंडालीया ने जताया अंत में कार्यशाला में उपस्थित सहभागियों ने जिज्ञासाएँ की जिसका समाधान विशेषज्ञ आयुर्वेदाचार्य ने दिया|