यातायात माह बना सिर्फ औपचारिकताओं का दौर

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यातायात माह बना सिर्फ औपचारिकताओं का दौर

प्रयागराज। ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। यातायात माह की औपचारिकताएं शुरू हुए आज तीन सप्ताह हो गए हर वर्ष पुलिस विभाग द्वारा नवंबर माह को यातायात माह के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करते हुए हादसों में कमी लाई जा सके। हाला कि हर साल पूरा नवंबर माह में सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की जाती है। जमाने गुजर गए निजाम भी बदले लेकिन यातायात व्यवस्था देखा जाए तो जस की तस है क्षेत्र में सड़क हादसों में कोई कमी नहीं दिख रही साल दर साल सड़क हादसों में मृतकों और घायलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है पुलिस द्वारा हर साल नवंबर माह में मनाया जाने वाला यातायात माह महज औपचारिकता भर रह गया है। ट्रैफिक के प्रति आम लोगों को जागरूक ना होने का रवैया भी हादसों के लिए जिम्मेदार है दुकानों के बाहर फैले अतिक्रमण और तिराहे चौराहों से नदारद पुलिसकर्मियों की वजह से दिक्कतें और बढ़ रही है यातायात सुचारू करने के लिए लोगों का सहयोग बेहद जरूरी है। यातायात माह में आला अफसर केवल उद्घाटन और समापन पर ही शरीक होते दिखते हैं लेकिन पूरे मांह जगह-जगह स्वयं अभियान की गतिविधियों का जायजा लेते नहीं दिखते। यहां तक कि स्कूली बच्चों को नियमों की जानकारी देने का जिम्मा, पुलिस के अफसर नहीं बल्कि सिपाही या दीवान के जिम्मे कर दिया जाता है।अधिकांश इलाकों में पुलिस यातायात माह के नाम पर दो पहिया वाहन चालकों का शोषण उनसे अभद्रता और अवैध वसूली में मशगूल रहती है। जबकि चार पहिया वाहनों और तिपहिया वाहनों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती है जबकि अधिकांश हादसे बड़े-बड़े वाहनों की लापरवाही से ही होते हैं। यातायात माह के दौरान अतिक्रमण हटाकर यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से करने का कोई प्रयास नहीं दिखता किसी अन्य विभागको इस अभियान से नहीं जोड़ने के कारण यह केवल यातायात पुलिस का अभियान बन चुका है ऐसे में कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यातायात माह सिर्फ औपचारिकताओं का मांह बन गया है


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