सत्य संसार में कीर्ति, प्रीति,सुख और समृद्धि को प्रदान करता है

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कुशलगढ| बडोदिया मे आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या आर्यिका सुयशमति माताजी ने कहा कि आत्मा सत है। अतः उस सत् के लिए मन से जो कुछ विचार किया जाता है, वचनों से जो कुछ कहा जाता है और काया से जो कुछ किया जाता है, वह सब सत्य है । यह विचार आर्यिका ने उत्तम सत्य धर्म दिवस पर श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बडोदिया में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्याक्त किए। आर्यिका उदितमति माताजी ने कहा कि स्वपरोपकारक,आगम की मर्यादा के परिपालक तथा हितादि गुणों से समन्वित वचन ही सत्य है । आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि सत्य-वचन जहां आध्यात्मिक उन्नति का एकमात्र साधन है, वहीं लोकप्रियता का मुख्य कारण भी है। सत्य संसार में कीर्ति, प्रीति,सुख और समृद्धि को प्रदान करता है । पर्व पर व्रत तप आराधना करने वाले विनोद चौखलिया,मीना देवी खोडणिया, दिलीप तलाटी, मितेश खोडणिया मयंक तलाटी, प्रियंका तलाटी जयंत जैन व तक्ष जैन की आराधना की अनुमोदना करते हुए युवा मंडल के सदस्यों ने उनकी सेवा में भक्ति की । इससे पूर्व प्रात:श्री जी का जलाभिषेक व शांतिधारा व आर्यिका संघ के सत्य धर्म पर प्रवचन व दोपहर में विधान तथा सांय प्रतिक्रमण व आरती की गई । रात्रि में सांस्क्रतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । हर घर मे तपस्वी-बड़ोदिया के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि जैन धर्म के 120 घरों में से हर घर में एक से दो या तीन व्रत तप उपवास करने वाले तपस्वियों से भरा है। सबसे छोटी उम्र के 12 वर्ष की बालिका से लेकर 75 वर्ष तक की वृद्ध दादी मां तक मे कोई पांच उपवास, कोई 10 उपवास, कोई 16 उपवास की साधना में ली है । आर्यिका संघ का सानिध्य पाकर बच्चों से लेकर बूढ़े तक हर कोई धर्म प्रभाव न में लीन होकर इस पर्व पर नगर को सोने पर सुहागा कर दिया ।


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