तुलसी की रचनाएं समाज के लिए महान धरोहर हैं- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु
भरतपुर के कामां तीर्थराज विमल कुंड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम में आज तुलसी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। गोस्वामी तुलसीदास की महान कृति रामचरितमानस का पाठ एवं सामूहिक रूप से सुंदरकांड का पाठ किया गया। इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास युगपुरुष हैं एवं उनकी रचनाएं कालजयी व समाज की महान धरोहर हैं। श्री राम के जिस मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप का तुलसी ने चित्रण किया उसे अपने जीवन में आत्मसात् करके हम सच्चे अर्थों में इंसान बनते हुए अपने जीवन को उच्च, आदर्श, पावन व महान बना सकते हैं। उनका अन्तर्भाव उनके शब्दों से झलकता है। कि राम राज्य में समस्त विषमताओं को परित्यागकर लोग आपस में प्रेम पूर्वक मिलकर रहते हैं ।
उन्होंने कहा कि अकड़ या अभिमान नहीं होना चाहिए यूं भी अकड़ तो मुर्दे की पहचान है। जीवंतता होनी चाहिए ।मस्तिष्क ठंडा, खून गर्म व चेतना जागृत हो तो समझो व्यक्ति सही मायने में जीवित है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए । दैवत्व परिपूर्ण जीवन में, समाज में एक दूसरे के साथ सहयोग की भावना जागृत होती है। ना तो किसी से डरो, ना ही किसी को डराओ। दैवीय संपदाओं में प्रथम स्थान अभय को दिया गया है । भय के रहते कोई भी सद्गुण नहीं टिक पाएगा।अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। तथा “श्री गुरू महाराज” की, “कामां के कन्हैया” की व “लाठी वाले भैय्या” की जय जयकार से गूंज उठा ।
कल सावन के चौथे सोमवार को प्रातः श्री महाराज जी आश्रम में ही स्थित श्री चैतन्येश्वर महादेव का दूध,घी, शहद, जल,शंकर इत्यादि से पूर्ण वैदिक रीति से मंत्रोचारण करते हुए महाभिषेक करेंगे। कल व आज भी श्री हरि कृपा आश्रम में श्री महाराज जी के दर्शनों व दिव्य अमृत वचनों को सुनने के लिए दिनभर भक्तों का ताँता लगा रहा ।