विद्युत के अघोषित कटौती से जनजीवन त्रस्त, अधिकारी मस्त

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भीषण गर्मी में भी प्याऊ कि कहीं उचित व्यवस्था नहीं बूंद बूंद पानी को तरस रहे लोग

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ के विभिन्न गांवों पंडित का पूरा,बैसन का पूरा,जूहीकोठी,गन्ने,हर्रो,बांसी, डिहवा,रूम,कोहड़िया,ओसा,सोनवर्षा,बड़ी जूही,कोहड़िया सुरवल चंदेल,नारीबारी,फुलतारा सहित समस्त गांवों में इस समय पानी की जबरदस्त किल्लत मची हुई है।भीषण गर्मी तथा लू और तपन इतनी बढ़ गई है कि घर से निकलना मुश्किल हो गया है सुबह 9 बजते बजते इतनी तेज धूप हो जाती है कि हाथ पैर सब जलने लगता है गर्म हवाएं बहने लगती है धूप में निकलना मुश्किल हो गया है, पारा लगभग 45 के पार पहुंच गया है लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जिसमें लोगों का बाहर निकलना काफी मुश्किल हो गया है लोग अपनी दिनचर्या कैसे व्यतीत करें इस धूप और तपन से राहत के लिए लोग इस समय अपने अपने घरों में कैद रहते हैं।इन दिनों दिन में प्रमुख बाजारों में धूप के कारण सन्नाटा छाया रहता है बहुत ही आवश्यकता पड़ने पर लोग घर से बाहर निकल रहे है।अत्यधिक धूप के कारण सबसे बड़ी समस्या राहगीरों को हो रही है प्रमुख स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था न होने से राहगीरों को पानी पीने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है।इस प्रचंड गर्मी से बचने के लिए लोंगों को आवश्यकतानुसार बार-बार पानी पीते रहना चाहिए जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो सके और नींबू पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में स्थिति के अनुसार दिन में लगभग दो-तीन बार पीना चाहिए जिससे लू से बचा जा सके। कहीं पर कुआं सूख गया है, तो कहीं तालाब सूख गए हैं ,कहीं नल का जल स्तर इतना कम हो गया है कि पानी नहीं मिल पा रहा है ,तथा जानवरों को भी पानी की काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उक्त क्षेत्रों में अन्ना जानवर बहुतायत संख्या में जिन्हें पीने का पानी मुवस्सर नही है।धूप से बचने के लिए लोग अपने अपने घरों में कैद रहते हैं किंतु इस समय विद्युत की अघोषित कटौती से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस समय लोगों को एक तरफ गर्मी से बचने के लिए जहाँ घरों में कैद रहना पड़ता हैं वहीं विद्युत के आंख मिचौली व अघोषित कटौती से जनता परेशान है। लोंगों ने शासन प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए प्रमुख स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था कराने तथा अघोषित विद्युत कटौती से निजात दिलवाने की माँग की है।

R. D. Diwedi


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