किसानों की समृद्धि के लिए प्राकृतिक खेती शुरु हो
प्राकृतिक खेती के लिए समृद्ध भारत अभियान के सीताराम गुप्ता ने लिखा पत्र
भरतपुर 5 सितम्बर । कृषि कार्यों में बढ़ती लागत, बदलती मौसमी परिस्थितियों, सिंचाई के कारण गिरते भू-जल स्तर सहित विभिन्न कारणों से किसान खेती को घाटे का कार्य मानने लगे। इन सभी समस्याओं से निजात के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प है। इसी वजह से केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एक करोड किसानों को प्राकृतिक खेती शुरु कराने की घोषणा की थी किन्तु इस पर अभी तक कोई अमल नहीं हुआ। देश में प्राकृतिक खेती शुरु कराने के लिए समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता ने प्रधान मंत्री को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि इसके शुरु होने के बाद कृषि लागत लगभग शून्य हो जायेगी और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ जायेगी।
गुप्ता द्वारा लिखे गये पत्र में कहा है कि पद्मश्री अवार्डी डा० सुभाष पालेकर द्वारा इजाद की गई प्राकृतिक खेती को लागू कराया जाये। इस पद्धति से दक्षिण भारत के सैकडों किसानों ने कृषि लागत लगभग शून्य कर ली है और इस पद्धति के उत्पादों का मूल्य भी कई गुना बढ़ गया है। पत्र में कहा है कि रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवाईयों एवं विभिन्न रसायनों के प्रयोग से कृषि उत्पाद इतने जहरीले हो गये है इनके सेवन से कैंसर जैसै रोग सामने आ रहे है। किसानों द्वारा खेती में निरन्तर रसायनों के प्रयोग से कृषि उत्पादन स्थिर होकर गिरावट की ओर आने लगा है। जिससे लगता है कि भविष्य मे खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
पत्र में कहा है कि प्राकृतिक खेती शुरू कराने के लिए राज्य, जिला, ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जाये। जिनमें प्राकृतिक खेती के विशेषज्ञ प्रायोगिक तरीके से किसानों को इस पद्धति के गुर बतायें। सरकार को यह भी चाहिए कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण के कार्य में और गति लाएं जिससे किसान प्रमाणीकरण के बाद अपने उत्पादों को बाजार में विक्रय कर सके। वैसे प्राकृतिक खेती के उत्पाद- परम्परागत पद्धति के उत्पादों के मुकाबले करीब 10 गुना अधिक मूल्य पर विक्रय हो जाते हैं।