भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी शहरी एवं ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
बौंली|क्षेत्र में चलाई जा रही शहरी व ग्रामीण रोजगार गारंटी मनरेगा योजना संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाडे के कारण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं का लाभार्थी सर्वप्रथम बीपीएल, विधवा, विकलांग, परितजा एवं गरीब महिला, पुरुषोको होने चाहिए लेकिन एमआईएस डाटा अधिकारी, रोजगार सहायक, एवं जेटीए द्वारा संपन्न व्यापारी व दुकानदारों के फर्जी नाम लिखे जा रहे हैं। प्रथम जांच में यह सत्य तथ्य पाया गया है की अनेकों महिला पुरुषों के फर्जी नाम मनरेगा मास्टरोल में चल रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में मजदूरी करना तो दूर यह भी जाकर नहीं देखा कि हमारे नाम की साइड कहां पर है। बौंली नगर पालिका मुख्यालय के करीब सात पार्षदो, मेटो व मजदूरों ने पत्रकार श्रद्धा ओम त्रिवेदी को एक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंप कर अवगत कराया है कि पिछले 6 माह से नरेगा मजदूरो की मजदूरी नहीं दी गई है एवं प्रशिक्षित मेटो को नियोजित किया जा रहा है व ब्लैकलिस्टेड मेटो को मास्टरोल दी जा रही है एम आई एस डाटा अधिकारी विशाल अग्रवाल, रोजगार सहायक रामनरेश मीणा, व जेटीए विजय कुमार द्वारा शहरी रोजगार गारंटी योजना में मनमानी की जा रही है दूसरा जेटीए कुलदीप यादव करीब 70 दिन से नगर पालिका कार्यालय बौंली में नहीं आ रहे हैं एवं बीच में एक दिन आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करके चले जाते हैं मजदूरों के नाम के पन्ने सूचना पट पर नहीं चिपकाए जाते इस कारण मजदूर अपनी साइड पर नहीं पहुंच पाए और उन लोगों के नहीं जाने पर अधिकारी लाइन फ़ेर देते हैं एवं अधिकारियों द्वारा महिला मेटो व श्रमिकों के साथ अभद्रता से व्यवहार किया जाता है। पार्षदों, मेटो, मजदूरो व आम जनता ने राजस्थान की मुख्य सचिव रेखा शर्मा से इस भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है।