उत्तम आकिंचन्य धर्म मनाया


नाटक के माध्यम से सद्गृहस्थ बनने का दिया संदेश

सवाई माधोपुर 16 सितम्बर। सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में मनाए जा रहे आत्म शुद्धि के दस लक्षण पर्युषण पर्व के तहत सोमवार को उत्तम आकिंचन्य धर्म मनाया गया।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि आलनपुर स्थित चमत्कारजी में मुनि निर्मद सागर के मंत्रोच्चारण के बीच विश्वशांति की कामनानार्थ नरेश बज ने जिनेंद्र प्रभु के चरणों में शांतिधारा प्रवाहित की। बबीता बज ने चंवर ढुलाए और मुनि संघ को शास्त्र भेंट किए।
इस मौके पर मुनि निर्मद सागर ने उत्तम आकिंचन्य धर्म का रहस्य समझाते हुए कहा कि आत्मा में रमन करना आकिंचन्य है। यह धर्म आत्मा में श्रद्धा भाव उत्पन्न करता है। मैं और मेरेपन से ऊपर उठकर आकिंचन्य धर्म धारण कर सभी के प्रति समभाव रखना चाहिए। तब ही मनुष्य का कल्याण हो सकता है।
इसी प्रकार मुनि नीरज सागर ने हृदय में धर्म की भावना, शुद्ध आचरण एवं अहिंसामयी धर्म मार्ग पर चलते हुए जीवन को सार्थक बनाने पर जोर दिया।
प्रवचनोपरांत पं.आशीष जैन शास्त्री के निर्देशन एंव समाज के गायक ललित जैन गोधा के भजनो की मधुर स्वर लहरियों के बीच जिनेंद्र भक्तों ने अष्टद्रव्यों से उत्तम आकिंचन्य धर्म एवं दशलक्षण मंडल विधान की पूजन कर मंडल पर श्रीफलयुक्त 17अर्घ्य समर्पित किए।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार देर शाम समय आराधना चातुर्मास समिति के संयोजन में चमत्कारजी विशुद्धमति सभागार में महिलाओं द्वारा नाटक का रोचक मंचन किया। नाटक के माध्यम से पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध से बचकर भारतीय सभ्यता व जैन संस्कृति के अनुरूप सद्गृहस्थ बनने का संदेश दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि मोहनलाल कासलीवाल, विमल बाकलीवाल, सुभाष अजमेरा व विमल सोगानी ने आचार्य विद्यासागरजी के चित्रपट्ट के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
इसी प्रकार शहर स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन तेरापंथी मंदिर में मंदिर प्रबंध समिति के संयोजन में रात्रि जागरण हुआ। तड़के पांच बजे तक चले जागरण में सुधा संगीत मंडली के गायकों द्वारा प्रस्तुत भजनों ने श्रोताओं को बांधे रखा। मगंल


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