वास्तु एक विज्ञान है, वास्तु कभी तोड़ना नहीं, जोड़ना सीखाता है: वास्तु विशेषज्ञ कैलाश परमार

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 शहर के ईशान कोण में गांधी सागर है, इसकी सफाई होती रहे तो यह भीलवाड़ा की उन्नति में चार चांद लगा सकता है

भीलवाड़ा। वास्तु एक विज्ञान है, वास्तु कभी तोड़ना नहीं, जोड़ना सीखाता है। मकान तोड़ने से कुछ नहीं होता है। इसमें कुछ बदलाव कर वास्तु का निवारण कर सकते हैं। दिशा इंसान की दशा भी बदल देती है। यह कहना है वास्तु विशेषज्ञ इंदौर के कैलाश परमार का। परमार ने रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि घर में पानी की टंकी बनाए तो गोल बनाए। कुछ इंजीनियर चार कोने की टंकी बनाते हैं जो वास्तु के हिसाब से सही नहीं है। गोल होने से घनत्व बराबर रहेगी, साथ ही टंकी फटने के चांस नहीं रहेंगे। पानी भरने की अधिकांश वस्तुएं गोल ही होती है। पुराने मकान वास्तु के अनुसार बने हुए हैं। पुराने सभी मकानों के दरवाजे कौने में नहीं हैं। दहलीज पर चैखट लगती थी जो आज के नए मकानों मंे खत्म हो गई। घर की दहलीज थोड़ी ऊपर होनी चाहिए, जिससे दरवाजा बंद करने के बाद कोई जहरीले जीव घर मंे नहीं आ सके। चूल्हे का मुंह हमेशा उत्तर में होता है, लकड़ी हमेशा दक्षिण की ओर जाती है। वास्तु के हिसाब से घर मंे दिन के समय लाइट नहीं चलाने पड़े, ऐसा होना चाहिए। वास्तु में रंगों का भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण से घर के गेट व दीवारों को काले व लाल रंग से पुताई नहीं करनी चाहिए। घर से मां के पैर छूकर निकले तो पैसों की कमी नहीं आएगी। साथ ही पिता के पैर छूने से सूर्य मजबूत होता है। जिस अलमारी में पैसे रखते हैं, उसके कांच नहीं होना चाहिए। साथ ही परफ्यूम के साथ कभी भी पैसों को नहीं रखना चाहिए। परमार ने बताया कि जिस घर में पारिजात का पौधा होगा तो उस घर का वास्तु दोष अपने आप ही खत्म हो जाएगा।
गांधी सागर की सफाई, भीलवाड़ा की उन्नति में चार चांद लगा सकता…
परमार ने कहा कि भीलवाड़ा शहर से दक्षिण-पश्चिम से रेल लाइन निकल रही है, यह भीलवाड़ा के लिए वरदान साबित हुई है। इसके कारण से ही यहां व्यवसाय से जुड़े लोग अधिक हैं। शहर के ईशान कोण में गांधी सागर है, इसकी सफाई होती रहे तो यह भीलवाड़ा की उन्नति में चार चांद लगा सकता है।


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